सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। उन्होंने अपने चार साल के कार्यकाल में बस्तर क्षेत्र के आदिवासियों और शहरी मजदूरों के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। सरकारी कर्मचारियों के लिए भी उन्होंने कई सुविधाएं प्रदान की हैं, जैसे महंगाई भत्ता की वृद्धि और पुरानी पेंशन योजना के पुनर्प्रारम्भ से कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा।
सीएम भूपेश बघेल ने पुरानी पेंशन योजना को छत्तीसगढ़ में फिर से शुरू करने का एलान किया। इसके बाद, इसके लिए बजट में धन आवंटन किया गया। योजना के अंतर्गत, कर्मचारियों के वेतन से हो रही 10% कटौती भी समाप्त कर दी गई है। इससे कर्मचारियों को आराम मिला है।
केंद्रीय सरकार द्वारा देशभर में लागू की गई नई पेंशन योजना के तहत, सरकारी कर्मचारियों को अपनी बेसिक सैलरी का 10% निवेश करना होता है। हालांकि, छत्तीसगढ़ की सरकार ने सकारात्मक सोच के साथ पुरानी पेंशन योजना को आधार बनाकर उनके पेंशन को कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई के आंकड़ों पर निर्धारित किया है, बल्कि कर्मचारियों के वेतन से पैसा काटा नहीं जाएगा।
छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के पेंशन के मामले में अटकावट डाली थी। इस मुद्दे का समाधान ढूंढने के लिए, मंत्रिपरिषद में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था, जिसमें तय किया गया था कि अगर केंद्र सरकार राज्य के कर्मचारियों के पेंशन के अंशदान का 17,500 करोड़ वापस नहीं करती है,
तो भी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना के लाभ प्रदान किए जाएंगे। सीएम बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस मांग के सम्बंध में एक पत्र लिखा था, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई।
इसके बावजूद, सीएम भूपेश ने राज्य में पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने का फैसला किया। इससे 5 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों की चिंता दूर हुई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों के भविष्य को आर्थिक रूप से मजबूत कर दिया है और कर्मचारियों ने इस फैसले के प्रति सीएम भूपेश का आभार व्यक्त किया है।