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MRF Share Price: 1946, ये वो साल था जब देश आजादी की दहलीज पर था। लोगों की आंखों में आजादी के सपने थे तो आजीविका चलाने की भी जद्दोजहद थी। इसी जद्दोजहद से जूझ रहे के. एम मैमन मापिल्लई ( K.M. Mammen Mappillai) ने तब के मद्रास में एक छोटे से शेड में गुब्बारे बनाना शुरू किया। मापिल्लई 1949 तक लेटेक्स कॉस्ट खिलौने, इंडस्ट्रियल ग्लव्स बना रहे थे। 1952 में मापिल्लई ने मद्रास रबर फैक्ट्री (MRF) के नाम से ट्रेड रबर बनाने वाली कंपनी की स्थापना की। करीब 71 साल बाद इस कंपनी के शेयर ने इतिहास रच दिया है।
बीते 13 जून, मंगलवार को MRF के शेयर की कीमत 1 लाख रुपये के पार पहुंच गई। ये भारतीय शेयर बाजार की दुनिया में किसी करिश्मे से कम नहीं है। इससे पहले भारत में ऐसा कोई शेयर नहीं है जिसने एक लाख के आंकड़े तक का सफर किया हो। हालांकि, एक समय ऐसा भी था जब MRF का एक शेयर मात्र 31 रुपये का था, उस वक्त अगर किसी निवेशक ने इस शेयर में दांव लगाया होता और अब तक अपने निवेश को बनाए रखता तो आज के समय में वह करोड़पति बन गया होता। आइए जानते हैं MRF कंपनी और शेयर प्राइस हिस्ट्री के बारे में।
जब 31 रुपये में मिल रहा था MRF का एक शेयर
MRF के शेयर प्राइस हिस्ट्री के मुताबिक, साल 1991 में इस शेयर की कीमत 31 रुपये थी। करीब दो साल तक MRF का शेयर रेंग रहा था। 1992 में इसके शेयर की कीमत 25 रुपये और 1993 में यह 15 रुपये तक चला गया था। यह वह वक्त था जब हर्षद मेहता स्कैम की वजह से शेयर बाजार पूरी तरह धराशायी हो गया।
1995 में MRF के शेयरों में अचानक तेजी देखी गई और यह 1700 रुपये के पार चला गया था। साल 1996 में MRF के शेयरों की लिस्टिंग NSE पर भी हो गई। साल 1997 में यह शेयर करीबन 2000 रुपये के आसपास पहुंच गया था। 1999 में MRF का एक शेयर 2100 रुपये के भी पार चला गया था। हालांकि, 2000-2001 के बीच एक बार फिर शेयरों में गिरावट आई थी और यह 500 रुपये तक आ गया था। इसके बाद साल 2004 से MRF के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखी गई और यह उस समय 2400 रुपये के पार चला गया था। साल 2008 में MRF के शेयर 7 हजार रुपये पर मिल रहे थे, इसके बाद 2013 में इसकी कीमत बढ़कर 13000 रुपये पर पहुंच गई थी। 2014 में यह शेयर लगभग 20,000 रुपये का हो गया था। साल 2015 में 38000 और 2016 में MRF का शेयर 50,000 के आंकड़े को पार गया था। इसके बाद से MRF के शेयरों में लगातार तेजी देखने को मिली और वर्तमान में यह शेयर 1 लाख रुपये तक पहुंच गया।
1 लाख का निवेश बढ़कर 32 करोड़ रुपये हो गया
शेयर प्राइस हिस्ट्री के मुताबिक, साल 1991 में अगर किसी निवेशक ने MRF के शेयरों में 1 लाख रुपये लगाए होते और अब तक अपने निवेश को बनाए रखे होते तो अब तक उसे 32 करोड़ रुपये का मुनाफा हो गया होता।
कंपनी की शुरुआत कैसे हुई थी?
साल 1952 में मापिल्लई ने मद्रास रबर फैक्ट्री (MRF) के नाम से ट्रेड रबर बनाने वाली कंपनी की स्थापना की। 1956 तक यानी 4 साल में ही MRF 50% शेयर के साथ भारत में ट्रेड रबर का मार्केट लीडर बन गया था। कंपनी के लिए साल 1961 टर्निंग प्वाइंट रहा और MRF एक पब्लिक कंपनी बन गई। बाद में कंपनी ने अपने कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए यूएसए बेस्ड मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी के साथ समझौता किया। इस कंपनी के सहयोग से ऑटोमोबाइल, विमान, साइकिल के लिए टायर और ट्यूब बनाती थी।
MRF ने 1964 में बेरूत में एक विदेशी कार्यालय की स्थापना की, जो टायरों के निर्यात और पहचान बनाने के लिए भारत के पहले प्रयासों में से एक था। यहां से MRF मसलमैन का जन्म हुआ। साल 1979 तक कंपनी का कारोबार देश-विदेश में फैल चुका था। बाद में अमेरिकी कंपनी मैन्सफील्ड ने MRF में अपनी हिस्सेदारी बेच दी और कंपनी का नाम MRF लिमिटेड कर दिया।
Source : https://www.livehindustan.com/business/story-mrf-share-most-expensive-stock-in-india-read-tier-company-story-8302944.html