नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में मंगलवार को कहा कि एक उच्च न्यायालय किसी दीवानी वाद को एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित कर सकता है, यदि वह (उच्च न्यायालय) साझा है और उसका क्षेत्राधिकार दोनों राज्यों पर है. यह निर्णय इस मुद्दे पर आया है कि क्या उच्चतम न्यायालय दीवानी प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 25 के तहत एकमात्र प्राधिकार है जो ‘‘मुकदमा, अपील या अन्य कार्यवाही को एक राज्य की दीवानी अदालत से दूसरे राज्य में किसी दीवानी अदालत में स्थानांतरित करने के लिए निर्देशित कर सकता है.
जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस दीपांकर दत्त की पीठ ने सीपीसी के प्रासंगिक प्रावधानों का उल्लेख किया और फैसला सुनाया कि शीर्ष अदालत को दीवानी मामलों को एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने का एकमात्र अधिकार है यदि क्षेत्राधिकारी उच्च न्यायालय अलग हैं. शीर्ष अदालत ने, हालांकि कहा कि गौहाटी जैसा उच्च न्यायालय जैसे उच्च न्यायालय के मामले में जो असम, नगालैंड, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश के लिए साझा है, उसे उसके अधिकार क्षेत्र के तहत दीवानी मामलों को एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने की शक्तियों से वंचित नहीं किया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने सीपीसी के प्रावधानों के आधार पर दिया फैसला
यह कानूनी मुद्दा शाह नवाज़ खान द्वारा दायर एक मामले में उत्पन्न हुआ, जिसने नगालैंड के दीमापुर में जिला न्यायाधीश की अदालत से अपने दीवानी मामले को असम में स्थानांतरित करने के लिए गौहाटी उच्च न्यायालय का रुख किया था. स्थानांतरण की मांग करते हुए, खान ने आरोप लगाया कि वह नगालैंड में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर रहा है. गौहाटी उच्च न्यायालय ने माना कि उसके पास उस शक्ति का अभाव है जिसका प्रयोग केवल उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जा सकता है.
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Tags: High court, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : February 28, 2023, 22:59 IST