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सेंट स्टीफंस कॉलेज में माली हैं पिता, बेटा बना स्टूडेंट्स यूनियन प्रेज़िडेंट

विशेष संवाददाता, नई दिल्लीः दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज के स्टूडेंट्स यूनियन सोसायटी के नए हेड हैं बीए स्टूडेंट पंकज यादव और इनका इस कॉलेज से अनोखा नाता है। वह कहते हैं, यह कॉलेज मेरे घर की तरह ही है। मेरे दादा यहां माली थे, पापा भी माली हैं, भाई ने भी यहीं से पढ़ाई की और मैं भी यहीं से पढ़ रहा हूं। बड़े भाई भी 2015 में चुनाव जीतकर स्टूडेंट्स यूनियन सोसायटी के हेड बने थे और अब वे बन हैं।

बचपन से सरकारी स्कूल में पढ़े पंकज स्टीफंस से हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस सब्जेक्ट्स में बीए कर रहे हैं। वह कहते हैं कि स्टीफंस के माहौल ने हमेशा उन्हें आकर्षित किया है। वे हमेशा से इस कॉलेज में पढ़ाई करना चाहते थे। उन्होंने कहा, 2007 में मेरे पिता को सेंट स्टीफंस में क्वॉर्टर मिल गया था। यह मेरा ड्रीम कॉलेज था और वॉर्ड कोटे ने भी यहां एडमिशन मिलने में मेरी मदद की। इस जाने-माने कॉलेज में पढ़ना मेरे लिए खास था। जब एडमिशन हुआ तो लगा, अब मैं अपने परिवार के सपनों को पूरा कर सकूंगा। इसके साथ ही मैं अपने भाई की तरह कॉलेज यूनियन का चुनाव भी लड़ना चाहता था ताकि स्टूडेंट्स की समस्याएं उठा सकूं। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में सोशल सर्विस से जुड़े कई काम किए। सभी के साथ जल्द घुलना-मिलना, स्टूडेंट्स से बात करना, उनकी बातें और अनुभव जानना मुझे पसंद है, तो कई दोस्त बने। सीनियर्स ने भी इन दो साल में मेरी मदद की। चुनाव जीतने के लिए आपकी इमेज में कुछ स्पेशल होना ही चाहिए, सभी के साथ जुड़ाव होना जरूरी है। मुझे खुशी है कि कॉलेज के स्टूडेंट्स ने मुझ में यह पाया। इस कॉलेज का स्टूडेंट बनकर और यूनियन हेड बनकर अपनी जिंदगी के लिए काफी कुछ सीखने का मौका मिल रहा है।


‘चार महीने स्टूडेंट्स के नाम’

2022-23 सेशन लेट हुआ है, तो पंकज का कार्यकाल काफी छोटा रहेगा। पंकज कहते हैं, कोविड और सीयूईटी के कारण सेशन लेट शुरू हुआ, अगस्त में होने वाला चुनाव जनवरी में हुआ है, तो कॉलेज में और इस पोस्ट पर चार महीने ही बचे हैं, जिसे मैं स्टूडेंट्स के मुद्दों के नाम करना चाहता हूं। जितना हो सके, उससे ज्यादा करने की कोशिश करूंगा। मसलन, लाइब्रेरी में पढ़ने का टाइम 5 बजे के बजाय 8 बजे हो सके, दिव्यांग स्टूडेंट्स के लिए सुविधाएं बढ़ाने, फेस्ट नहीं हुए हैं, इनके आयोजन जैसे मुद्दों को लेकर काम करना है।

बनना चाहते हैं फिजिकल एजुकेशन टीचर

पंकज बचपन से क्रिकेटर बनना चाहते थे। वह कहते हैं, मगर आर्थिक तौर पर परेशानी रही और अब मैं क्रिकेटर बनने के लिए एक उम्र पार कर चुका हूं। तो यह पैशन कहीं खोए ना, इसलिए मैं फिजिकल एजुकेशन टीचर बनने की राह पर काम करूंगा। यह मेरा अगला गोल है, बाकी कॉलेज की क्रिकेट टीम में रहकर अब भी खेल रहा हूं।

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