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Delhi News : उपराज्यपाल ने ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान की फाइल लौटाई, समीक्षा का आदेश

उपराज्यपाल वीके सक्सेना और अरविंद केजरीवाल

उपराज्यपाल वीके सक्सेना और अरविंद केजरीवाल
– फोटो : अमर उजाला

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दिल्ली में प्रदूषण के मजबूत होते घेरे के बीच उपराज्यपाल वीके सक्सेना में ‘रेड लाइट ऑन, गाडी ऑफ’ अभियान से जुड़ी फाइल दुबारा मुख्यमंत्री को भेज दी है। उनका कहना है कि दिल्ली सरकार अपने इस अभियान की समीक्षा करे। इसके बाद मंजूरी के लिए फाइल दोबारा से भेजी जाए। फाइल पर अपनी नोटिंग में उपराज्यपाल ने लिखा है कि अभियान सिविल डिफेंस कर्मियों को खतरे में डालने के अलावा और कुछ भी नहीं है। फाइल में कहीं से भी साबित नहीं होता कि यह प्रदूषण को रोकने में प्रभावी हो सकता है।

राजनिवास सूत्रों का कहना है कि उपराज्यपाल कार्यालय में भेजने से पहले यह फाइल मुख्यमंत्री के पास करीब दस दिन तक पड़ी रही। इसमें अभियान चलाने का प्रस्तावित समय 31 अक्तूबर बताया गया है। जबकि पर्यावरण मंत्री 28 अक्तूबर की बात कर रहे हैं। दिलचस्प यह है कि फाइल उसी दिन उपराज्यपाल ने लौटाई है, जब इस पर मंजूरी देने की मांग करते हुए आम आदमी पार्टी (आप) कार्यकर्ता राजनिवास पर प्रदर्शन कर रहे थे। उपराज्यपाल का आकलन है कि गंभीर स्तर के प्रदूषण के बीच सिविल डिफेंस कर्मियों को सिग्नल पर खड़ा करना खतरनाक है। 

अभियान के दौरान सिग्नल पर खुले में सिविल डिफेंस कर्मियों को खड़ा करना सेहत के लिहाज से ठीक नहीं है। जबकि बहुत सारे अध्ययन बताते हैं कि सब पर असर डालने वाला वायु प्रदूषण की मार तुलनात्मक रूप से गरीबों पर ज्यादा पड़ती है। इसके अलावा वाहनों के भारी दबाव वाली जगहों पर खड़ा होने से दुर्घटना की आंशका भी रहती है। दूसरी तरफ उपराज्यपाल का मानना है कि इसका कोई प्रमाणिक आंकड़ा नहीं मिला है कि इस अभियान से वायु प्रदूषण में कमी आई है। ऐसे में सिविल डिफेंस कर्मियों का इस्तेमाल अमानवीय तरीके से नहीं किया जा सकता है। इसकी जगह पर सरकार को इसका कोई तकनीकी समाधान देना चाहिए।

आप नेताओं के बयान भ्रामक
सूत्र बताते हैं कि उपराज्यपाल की राय में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मंत्री गोपाल राय व आम आदमी पार्टी इस बारे में भ्रामक बयान दे रही है। इससे जुड़ी फाइल 11 अक्तूबर से 21 अक्तूबर तक मुख्यमंत्री के पास पड़ी रही। उपराज्यपाल कार्यालय को यह फाइल 21 अक्तूबर को मिली जबकि वह बयान दे रहे हैं कि एलजी से उनकी गुजारिश है कि राजनीतिक लड़ाई अपनी जगह है,उन्हें दिल्ली वालों की सांसों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।

आप का दावा खारिज, कानूनी कार्रवाई का आदेश
इसी बीच दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के उस दावे को खारिज कर दिया है कि राजधानी में कूड़े को डालने के लिए 16 और साइटें बनाने की तैयारी है। गाजीपुर लैंडफिल जाकर केजरीवाल ने यह दावा किया था। इस दावे को एलजी ने खारिज करते हुए एमसीडी को आदेश दिया कि वह लोगों को भ्रम में डालने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे। 
 

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दिल्ली में प्रदूषण के मजबूत होते घेरे के बीच उपराज्यपाल वीके सक्सेना में ‘रेड लाइट ऑन, गाडी ऑफ’ अभियान से जुड़ी फाइल दुबारा मुख्यमंत्री को भेज दी है। उनका कहना है कि दिल्ली सरकार अपने इस अभियान की समीक्षा करे। इसके बाद मंजूरी के लिए फाइल दोबारा से भेजी जाए। फाइल पर अपनी नोटिंग में उपराज्यपाल ने लिखा है कि अभियान सिविल डिफेंस कर्मियों को खतरे में डालने के अलावा और कुछ भी नहीं है। फाइल में कहीं से भी साबित नहीं होता कि यह प्रदूषण को रोकने में प्रभावी हो सकता है।

राजनिवास सूत्रों का कहना है कि उपराज्यपाल कार्यालय में भेजने से पहले यह फाइल मुख्यमंत्री के पास करीब दस दिन तक पड़ी रही। इसमें अभियान चलाने का प्रस्तावित समय 31 अक्तूबर बताया गया है। जबकि पर्यावरण मंत्री 28 अक्तूबर की बात कर रहे हैं। दिलचस्प यह है कि फाइल उसी दिन उपराज्यपाल ने लौटाई है, जब इस पर मंजूरी देने की मांग करते हुए आम आदमी पार्टी (आप) कार्यकर्ता राजनिवास पर प्रदर्शन कर रहे थे। उपराज्यपाल का आकलन है कि गंभीर स्तर के प्रदूषण के बीच सिविल डिफेंस कर्मियों को सिग्नल पर खड़ा करना खतरनाक है। 

अभियान के दौरान सिग्नल पर खुले में सिविल डिफेंस कर्मियों को खड़ा करना सेहत के लिहाज से ठीक नहीं है। जबकि बहुत सारे अध्ययन बताते हैं कि सब पर असर डालने वाला वायु प्रदूषण की मार तुलनात्मक रूप से गरीबों पर ज्यादा पड़ती है। इसके अलावा वाहनों के भारी दबाव वाली जगहों पर खड़ा होने से दुर्घटना की आंशका भी रहती है। दूसरी तरफ उपराज्यपाल का मानना है कि इसका कोई प्रमाणिक आंकड़ा नहीं मिला है कि इस अभियान से वायु प्रदूषण में कमी आई है। ऐसे में सिविल डिफेंस कर्मियों का इस्तेमाल अमानवीय तरीके से नहीं किया जा सकता है। इसकी जगह पर सरकार को इसका कोई तकनीकी समाधान देना चाहिए।

आप नेताओं के बयान भ्रामक

सूत्र बताते हैं कि उपराज्यपाल की राय में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मंत्री गोपाल राय व आम आदमी पार्टी इस बारे में भ्रामक बयान दे रही है। इससे जुड़ी फाइल 11 अक्तूबर से 21 अक्तूबर तक मुख्यमंत्री के पास पड़ी रही। उपराज्यपाल कार्यालय को यह फाइल 21 अक्तूबर को मिली जबकि वह बयान दे रहे हैं कि एलजी से उनकी गुजारिश है कि राजनीतिक लड़ाई अपनी जगह है,उन्हें दिल्ली वालों की सांसों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।

आप का दावा खारिज, कानूनी कार्रवाई का आदेश

इसी बीच दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के उस दावे को खारिज कर दिया है कि राजधानी में कूड़े को डालने के लिए 16 और साइटें बनाने की तैयारी है। गाजीपुर लैंडफिल जाकर केजरीवाल ने यह दावा किया था। इस दावे को एलजी ने खारिज करते हुए एमसीडी को आदेश दिया कि वह लोगों को भ्रम में डालने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे। 

 

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