हाइलाइट्स
IIT Roorkee ने लार के जरिये ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने की तकनीक विकसित की है.
इस तकनीक से ब्रेस्ट कैंसर के सबसे खतरनाक स्वरूप mTNBC का पता चलेगा.
भारत में हर वर्ष ब्रेस्ट कैंसर के 1.6 लाख से ज्यादा मामले सामने आते हैं.
देहरादून: आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने लार में पाये जाने वाले तीन प्रोटीनों का पता लगाया है जो स्तन कैंसर के सबसे खतरनाक स्वरूप ‘मैटास्टेटिक ट्रिपल निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर’ (m-टीएनबीसी) का पूर्वानुमान लगा सकते हैं. आईआईटी रुड़की ने एक बयान जारी कर कहा है कि शोधकर्ताओं ने एक ऐसी प्रक्रिया विकसित की है जो लार में m-टीएनबीसी के लिए बायोमार्कर को पहचान सकता है. टीम की रोग पहचान का तरीका लार ग्रंथियों की कार्यक्षमता पर आधारित है जो स्तन कैंसर से पीड़ित रोगियों में बिगड़ी हुई होती है. इनकी प्रोटीन संरचना भी ठीक नहीं होती है.
शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर इस फर्क को पहचान लिया जाए और उसकी मात्रा का पता लगा लिया जाए तो यह एक प्रभावी बायोमार्कर हो सकता है. भारत में महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है. हर साल इस रोग के 1.6 लाख से ज्यादा मामले सामने आते हैं और आठ हजार से ज्यादा महिलाओं की मृत्यु हो जाती है.
सभी प्रकार के स्तन कैंसरों में से करीब 10 से 15 प्रतिशत मेटास्टेटिक टीएनबीसी होते हैं, जो सबसे ज्यादा खतरनाक स्वरूप है और सामान्य तौर पर हार्मोनल और एचईआर दो प्रोटीन टार्गेटिंग दवाइयों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं करता.
शोध टीम का नेतृत्व करने वाली बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर किरन अंबातीपुडी ने कहा, ‘भारत में स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की मृत्यु दर का प्रमुख कारण रोग की पहचान में देरी है. इससे ऐसी तकनीक के विकास की आवश्यकता बढ़ जाती है जिसमें शरीर को बेधना न पड़े और वह कैंसर को उसकी शुरुआती अवस्था में ही पहचान भी ले.’
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Iit roorkee, Latest Medical news
FIRST PUBLISHED : September 30, 2022, 19:14 IST