प्रतापा राम/ जैसलमेर. जैसलमेर के गांव डेढा के किसान ने परंपरागत खेती के साथ-साथ कुछ लीक से हट कर भी सोचा. बाजरा, गेहूं और मूंग जैसी फसलें उगाने वाले किसान गणपत सिंह ने पशुपालन को भी अपनाया. सरकार की ओर से वर्ष 2021 में कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु आत्मा योजना के तहत उन्हें 25000 रुपये व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया. आज उनके पास सौ से ज्यादा पशु पक्षी हैं. जिनमें 10 भैसें और 20 से 25 गाय, भेड़ बकरियां, घोड़े व मुर्गी भी हैं. यहां प्रति दिन 100 लीटर दूध निकलता है, जिससे देसी घी निकालने के साथ-साथ सीधे दूध की सप्लाई भी करते हैं, जिससे करीब डेढ़ लाख रुपये कमाते हैं.
क्षेत्र में उनकी पहचान उन्नत व तकनीकी किसान गणपत सिंह के नाम से भी है. गणपत सिंह का कहना है कि उनके पास गाय भैंस के अलावा मुर्गीपालन व भेड़ बकरियों का भी व्यवसाय है. जिससे उनसे भी आमदनी होती है और इनके खाद से अच्छी खेती भी होती है.
200 बीघा में करते है खेती
किसान ने बताया कि वह और इनके भाई 200 बीघा में खेती करते हैं और वो भी बिना बोरवेल के. साल की दो सीजन फसल लेते हैं जो कि खडीन के माध्यम से सम्भव हो पाता है. गणपत सिंह चना, सरसो, जीरा, बाजरा, मोठ, मूंग, ग्वार की खेती करते है और फसल का चारा पशुओं के काम आता है. मक्का काटने के बाद साइलेज का इस्तेमाल करते है गेहूं की खेती भी करते है. इससे आमदनी अलग हो जाती है. गणपत सिंह ने बताया कि अब पशुपालन में समस्या आने लगी है. चारा महंगा हो रहा है. तूड़ी भी 10 रुपये किलो है. वह चूंकि अपनी खेती करके चारा उगाते हैं तो समस्या कम है. लेकिन जो एक-दो पशु रखने वाले लोगों ने अब यह काम छोड़ दिया है. नई पीढ़ी भी पशुपालन में रुचि नहीं ले रही है.
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FIRST PUBLISHED : June 11, 2023, 17:44 IST