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निःसंतान महिलाओं को मिथुन संक्रांति के दिन करनी होती है सिलबट्टे की पूजा, जानिए क्या है मान्यता और पूजा करने की विधि

हिना आज़मी/ देहरादून. हर परिवार को चाहत होती है कि उनका घर बच्चों की किलकारियां से गूंजे. कुछ लोगों के आंगन बच्चों से सूने पड़े होते हैं. ऐसे नहीं संस्थान लोग विशेषकर महिलाएं मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे की पूजा करें तो उन्हें मनचाहा फल प्राप्त होता है यानी उनकी गोद भरती है और इसी के साथ ही मान्यता यह भी है कि जिन कुंवारी लड़कियों की शादी नहीं होती है वह भी इस दिन पूजा करे तो उन्हें अच्छा वर मिलता है.

आचार्य चंद्र प्रकाश ने जानकारी देते हुए कहा है कि हिंदू धार्मिक पुराणों के अनुसार ज्योतिष्य में 12 होती है और प्रत्येक राशियों में सूर्य संक्रमण होता है.इस महीने मिथुन संक्रांति यानी 15 जून को सूर्य संक्रमण होगा. राशियों में परिवर्तन होगा और मिथुन राशि में सूर्य देव प्रवेश करेंगे. इस दिन श्रद्धालुओं को गंगा स्नान करना चाहिए क्योंकि संक्रांति के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. इस दिन विधि विधान से पूजन करना निसंतान महिलाओं के साथ -साथ अविवाहित युवतियों, ब्राह्मणों, पशुओं का व्यापार करने वाले कारोबारियों, व्यापारियों और लेखकों के लिए लाभदायक माना जाता है.
उन्होंने बताया कि प्रत्येक समाज अपने क्षेत्र के मुताबिक मिथुन संक्रांति के दिन पूजन करता है.उन्होंने बताया कि जो महिलाएं निसंतान है तो उस दिन वह गंगा स्नान करने के बाद सिलबट्टे की पूजा करें और जिन लड़कियों की शादी में बाधा होती है वह भी इस दिन विधि विधान के साथ यदि सिलबट्टे की पूजा करती है तो उसे अच्छा वर मिलता है.

मिथुन संक्रांति के दिन क्यों सिलबट्टे की पूजा की जाती है?

मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे की पूजा की जाती है क्योंकि माना जाता है कि इस दिन धरती मां का सिलबट्टे में वास होता है. हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार, माना जाता है कि मिथुन संक्रांति के दिन धरती मां को मासिक धर्म शुरू हुए थे जो तीन दिन तक चले. मान्यता यह भी है कि इन 3 दिनों पृथ्वी के विकास के लिए धरती मां को मासिक धर्म होते हैं.3 दिन के मासिक धर्म के बाद चौथे दिन धरती मां का स्नान होता है जिसे वसुमति गढ़वा कहा जाता है. इसलिए कहा जाता है कि इन 3 दिनों सिलबट्टी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और चौथे दिन इस पर कुछ पीसने से पहले उसका जल और दूध से अभिषेक करना चाहिए.इसके बाद इसके बाद सिंदूर, फूल ,फल और चंदन से इसकी पूजा करनी चाहिए.मान्यता है कि मिथुन संक्रांति के दिन गुड़,घी, अनाज जैसे जौ, गेहूं आदि दान करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. निसंतान महिलाएं और जिन लड़कियों के विवाह में बाधा आती है वह यह उपाय करें.

Tags: Hindi news, Uttarakhand news

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