सांकेतिक तस्वीर
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राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण संशोधन प्रस्ताव आगामी विधानसभा सत्र में आएगा। कार्मिक विभाग के सचिव शैलेश बगौली के मुताबिक विधानसभा से पास होने के बाद संशोधन विधेयक प्रस्ताव को मंजूरी के लिए राजभवन भेजा जाएगा।
प्रदेश के 10 हजार से अधिक राज्य आंदोलनकारियों को लंबे समय से नौकरियों में आरक्षण की बहाली का इंतजार है। सरकार की ओर इस पर विचार के लिए वन मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया गया था। मंत्रिमंडलीय उप समिति ने आरक्षण बहाली का निर्णय लेते हुए सरकार से इसकी सिफारिश की थी।
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कैबिनेट में मंत्रिमंडलीय उप समिति की सिफारिश को मंजूरी दी गई, लेकिन आरक्षण बहाली को लेकर वैधानिक पेच फंसने की वजह से आरक्षण बहाल नहीं हो पाया है। इस बीच राज्य आंदोलनकारियों का धैर्य जवाब दे गया, जो कि आरक्षण बहाली की मांग को लेकर शहीद स्मारक में धरने पर हैं।
यह है मामला
प्रदेश की पूर्ववर्ती एनडी तिवारी सरकार ने वर्ष 2004 में राज्य आंदोलनकारियों को नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का शासनादेश जारी किया था। आंदोलनकारियों को विशेष श्रेणी मानते हुए यह शासनादेश हुआ था। सैकड़ों आंदोलनकारियों को इसका लाभ मिला, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने इस शासनादेश को रद्द कर दिया।