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कर्मचारियों की चूक से हुईं 55 फीसदी रेल दुर्घटनाएं, 75 फीसदी केस डिरेलमेंट…

रिपोर्ट- निवेदिता सिंह

नई दिल्ली: बालासोर ट्रेन हादसे के बाद फिर से एक बार रेल दुर्घटनाओं को लेकर विवेचना के दौर शुरू हो गए हैं. ऐसे में रेलवे सुरक्षा आयोग के डाटा का आकलन बताता है कि 2017-18 और 2021-22 के बीच हुई 55 फीसद रेल दुर्घटनाओं की वजह रेलवे कर्मचारियों की चूक रही है. वहीं 2017-18 और 2022-23 के बीच हुई 75 फीसद दुर्घटनाओं की वजह रेल का पटरी से उतरना रहा.

क्या कहता है रेल सुरक्षा आयोग और मंत्रालय का डाटा
न्यूज 18 ने जब रेल सुरक्षा आयोग और रेल मंत्रालय के डाटा का विश्लेषण किया तो पाया कि 2021-22 में हुई 43 फीसद दुर्घटनाओं के पीछे की वजह रेल कर्मचारियों के काम में की गई गलती थी. इसके साथ लोगों का सिग्नल के दौरान पटरी पार करना, या अन्य मानवीय भूलों को मिला लिया जाए तो 2021-22 में दुर्घटना का यह आंकड़ा 55 फीसद रहा. इसी तरह 2020-21 में यह आंकड़ा 73 फीसद था.

2017-18 और 2021-22 के बीच रेलवे कर्मचारियों के काम में होने वाली गलती की वजह से हुई दुर्घटना का फीसद 43 से 65 प्रतिशत के बीच रहा. जिसमें 2019-20 में यह अपने उच्चतम और 2021-22 में अपने निम्नतम पर रहा. अगर पांच सालों के औसत की बात की जाए तो रेलवे कर्मचारियों की गलती से होने वाली दुर्घटना का आंकड़ा 55 फीसद रहा.

इसी तरह ट्रेन दुर्घटनाओं में मानवीय भूल की अगर बात की जाए तो डाटा बताता है कि यह आंकड़ा 55 प्रतिशत (2021-22) और 89 प्रतिशत (2018-19) के बीच रहा. इस तरह मानवीय भूल की वजह से हुई दुर्घटनाओं का 5 साल का औसत निकाला जाए तो इस तरह से होने वाली दुर्घटनाओं का औसत 75 फीसद था.

रेल का पटरी से उतरना दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह
न्यूज 18 ने भी रेलवे सुरक्षा आयोग के डाटा का विश्लेषण किया जिससे सामने आया है कि दुर्घटना की अहम वजह ट्रेन का पटरी से उतरना था. 2017-18 और 2022-23 के बीच करीब 292 रेल दुर्घटना हुई जिसमें से 220 में वजह ट्रेन का पटरी से उतरना था. यानी करीब 75 फीसद दुर्घटनाओं की वजह ट्रेन का पटरी से उतरना रहा. इसी तरह रेल सुरक्षा आयोग और भारतीय रेल के आंकड़े बताते हैं कि पटरी से उतरने के बाद ट्रेन में आग लगी जो 28 दुर्घटनाओं का कारण बनी.

पूर्व कोविड समय से दुर्घटनाओं में कमी लेकिन 2020 के बाद हुई बढ़ोतरी
कोविड के बाद भारत में रेल दुर्घटनाओं की कुल संख्या में पहले की तुलना में कमी आई है. लेकिन पिछले तीन सालों में इसमें फिर से बढ़ोतरी देखी जा रही है. 2020-21 में लॉकडाउन की वजह से 22 मार्च, 2020 से यात्री रेलों का संचालन पूरी तरह से बंद था.

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मई 2020 से आंशिक रूप से रेलों का संचालन शुरू हुआ और करीब 230 ट्रेनें चलाई गईं. कम ट्रैफिक की वजह से रेल दुर्घटनाओं में भी कमी आई. अगले साल यानी 2021-22 भी में भी कोरोना का असर था, लेकिन पूरी तरह से लॉकडाउन नहीं लगा था और रेल सेवा भी पूरी तरह से स्थगित नहीं थी लेकिन कोरोना की वजह से इस पर असर जरूर पड़ा था.

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2021-22 की बात करें तो इस साल 35 रेल दुर्घटनाएं हुईं जो 2022-23 में बढ़कर 48 हो गईं. हालांकि मंत्रालय का डाटा बताता है इस दौरान हताहत होने वालों की संख्या में तेजी से गिरावट देखने को मिली. 2021-22 में जहां यह संख्या 17 थी वहीं 2022-23 में यह घटकर 8 रह गई.

हालांकि 2 जून को ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के बीच हुई टक्कर ने बीते 5 सालों के सभी आंकड़ों को हिला कर रख दिया है. इस दुर्घटना में जिसमें दो यात्री रेल शामिल थीं, करीब 288 लोगों की जान गई और 1000 लोग घायल हुए. इसे बीते दो दशकों में सबसे बड़ा रेल हादसा बताया जा रहा. अब रेल सुरक्षा आयोग और सीबीआई दुर्घटना की वजह तलाशने में जुटी हुई है.

Tags: Indian Railways, Odisha Train Accident, Train accident


Source : https://hindi.news18.com/news/nation/55-percent-of-rail-accidents-are-due-to-staff-error-from-2017-22-derailment-in-75-percent-cases-last-6-years-6489887.html

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