शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट ने सोमवार को चुनाव आयोग के सामने पार्टी संगठन और चुनाव चिह्न पर अपना दावा जताते हुए अंतिम दलील दी। दोनों गुटों ने पार्टी के चिन्ह के रूप में ‘धनुष और तीर’ और पार्टी संगठन पर अपना दावा जताते हुए निर्वाचन आयोग के सामने लिखित में अपनी बात रखी। लिखित दलीलें उनके संबंधित वकीलों के माध्यम से दायर की गईं। सोमवार को दस्तावेज पेश करने का आखिरी दिन था।
लोकसभा में शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता राहुल शेवाले ने कहा कि हमें आशा है कि चुनाव आयोग इस मामले में जल्द फैसला लेगा। 20 जनवरी को प्रतिद्वंद्वी गुटों ने चुनाव आयोग के समक्ष अपनी दलीलें पूरी कर ली थीं। दोनों पक्षों ने अपने दावे का समर्थन करने के लिए पिछले कुछ महीनों में चुनाव आयोग को हजारों दस्तावेज जमा किए थे और तीन मौकों पर आयोग के सामने अपने संबंधित मामलों पर बहस की थी।
गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को गिराने के बाद एकनाथ शिंदे पिछले साल जून में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने के लिए शिवसेना से बाहर चले गए थे। तब से शिवसेना के शिंदे और ठाकरे गुटों के बीच संगठन पर नियंत्रण की लड़ाई चल रही है। पिछले साल नवंबर में चुनाव आयोग ने शिवसेना के दोनों गुटों से कहा था कि वे पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना दावा जताने के लिए नए दस्तावेज पेश करें। आयोग ने उन्हें सौंपे गए दस्तावेजों को आपस में बदलने को भी कहा था।
पिछले साल अक्तूबर में एक अंतरिम आदेश में, चुनाव आयोग के मतदान पैनल ने दोनों गुटों को पार्टी के नाम या उसके ‘धनुष और तीर’ चिन्ह का उपयोग करने से रोक दिया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने ठाकरे गुट के लिए पार्टी के नाम के रूप में ‘शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ और शिंदे समूह को नाम के रूप में ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ (बालासाहेब की शिवसेना) आवंटित किया था।साथ ही चुनाव आयोग ने कहा था कि अंतरिम आदेश विवाद के अंतिम निर्णय तक लागू रहेगा।
बता दें कि शिंदे ने शिवसेना के 56 में से 40 विधायकों और उसके 18 लोकसभा सदस्यों में से 13 के समर्थन का दावा करते हुए ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में ठाकरे के इस्तीफे के बाद शिंदे को भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री पद पर नियुक्त किया गया था। चुनाव चिह्न आदेश के अनुच्छेद 15 में वर्गों या समूहों के प्रतिनिधियों की सुनवाई का प्रावधान है।
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