दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
– फोटो : अमर उजाला
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष ई अबूबकर के इलाज के लिए दायर याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी से जवाब मांगा है। उसे एजेंसी ने प्रतिबंधित संगठन के खिलाफ कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया था।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ चिकित्सा आधार पर उसे रिहा करने से इन्कार करने वाली निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अबूबकर की अपील पर सुनवाई कर रही है। पीठ ने जांच एजेंसी से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने और एम्स द्वारा अधिकृत विशेषज्ञ की राय बताने को भी कहा है। अदालत ने मामले की सुनवाई 14 दिसंबर तय की है।
अदालत ने कहा कि अभियुक्त को अपेक्षित चिकित्सा प्रदान की जाएगी। हालांकि, उसकी इस दलील को खारिज कर दिया कि उसे हाउस अरेस्ट के लिए भेजा जाना चाहिए। पीठ ने कहा हम ऐसा करने के इच्छुक नहीं हैं। एम्स देश का एक प्रमुख अस्पताल है। यदि आप इसे हाउस अरेस्ट के बहाने के रूप में उपयोग कर रहे हैं तो हम इसे अनुमति नहीं दे रहे हैं। हम केवल उनकी चिकित्सा स्थिति से चिंतित हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता आदित पुजारी ने तर्क दिया कि अबूबकर कैंसर और पार्किंसंस रोग से पीड़ित है। लेकिन ट्रायल कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार आरोपी को एम्स में परीक्षण कराने के लिए बहुत लंबी तारीख दी गई है लेकिन इस मामले में तत्काल आवश्यकता है। लंबी तारीख पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा निदान और इलाज कहां है? वह 2024 तक स्कैन का इंतजार नहीं कर सकता।
यह नहीं है कि वह 2024 तक इंतजार करेगा। यह निश्चित रूप से 2024 तक इंतजार नहीं कर सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह मामले के गुण-दोषों के साथ-साथ इस चरण में अभियुक्तों को नियमित जमानत देने के किसी भी अनुरोध पर विचार नहीं कर रही है। पीठ ने कहा कि वे चिकित्सा उपचार के लिए अपील पर सुनवाई कर रहे और आरोपी नियमित जमानत लेने के लिए ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष ई अबूबकर के इलाज के लिए दायर याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी से जवाब मांगा है। उसे एजेंसी ने प्रतिबंधित संगठन के खिलाफ कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया था।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ चिकित्सा आधार पर उसे रिहा करने से इन्कार करने वाली निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अबूबकर की अपील पर सुनवाई कर रही है। पीठ ने जांच एजेंसी से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने और एम्स द्वारा अधिकृत विशेषज्ञ की राय बताने को भी कहा है। अदालत ने मामले की सुनवाई 14 दिसंबर तय की है।
अदालत ने कहा कि अभियुक्त को अपेक्षित चिकित्सा प्रदान की जाएगी। हालांकि, उसकी इस दलील को खारिज कर दिया कि उसे हाउस अरेस्ट के लिए भेजा जाना चाहिए। पीठ ने कहा हम ऐसा करने के इच्छुक नहीं हैं। एम्स देश का एक प्रमुख अस्पताल है। यदि आप इसे हाउस अरेस्ट के बहाने के रूप में उपयोग कर रहे हैं तो हम इसे अनुमति नहीं दे रहे हैं। हम केवल उनकी चिकित्सा स्थिति से चिंतित हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता आदित पुजारी ने तर्क दिया कि अबूबकर कैंसर और पार्किंसंस रोग से पीड़ित है। लेकिन ट्रायल कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार आरोपी को एम्स में परीक्षण कराने के लिए बहुत लंबी तारीख दी गई है लेकिन इस मामले में तत्काल आवश्यकता है। लंबी तारीख पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा निदान और इलाज कहां है? वह 2024 तक स्कैन का इंतजार नहीं कर सकता।
यह नहीं है कि वह 2024 तक इंतजार करेगा। यह निश्चित रूप से 2024 तक इंतजार नहीं कर सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह मामले के गुण-दोषों के साथ-साथ इस चरण में अभियुक्तों को नियमित जमानत देने के किसी भी अनुरोध पर विचार नहीं कर रही है। पीठ ने कहा कि वे चिकित्सा उपचार के लिए अपील पर सुनवाई कर रहे और आरोपी नियमित जमानत लेने के लिए ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।
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