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Pollution in Delhi : दिल्ली की हवा बेहद खराब, पराली का हिस्सा 26 फीसदी, विध्वंसक कार्यों पर रोक, सख्ती बढ़ी


पराली जलाते किसान
– फोटो : पीटीआई

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राष्ट्रीय राजधानी के प्रदूषण (पीएम 2.5) में पराली के धुएं की हिस्सेदारी रविवार को इस साल के सर्वोच्च स्तर 26 फीसदी पर पहुंच गई। इसमें खेतों में पराली जलाने के मामले बढ़ने व दिल्ली-एनसीआर तक प्रदूषण पहुंचाने में अनुकूल मौसम का बड़ा योगदान है। शनिवार को दिल्ली के वातावरण में मौजूद पीएम 2.5 में पराली की हिस्सेदारी 21 फीसदी थी।

दिल्ली की वायु गुणवत्ता रविवार को भी बेहद खराब श्रेणी में रही। कुछ इलाकों में यह गंभीर श्रेणी में पहुंच गई। रविवार सुबह 9 बजे दिल्ली का औसत एक्यूआई 367 और शाम 4 बजे 352 दर्ज किया गया। शनिवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 397 रहा था। दिल्ली के आनंद विहार इलाके में रविवार को एक्यूआई 449 पर पहुंच गया। मौसम विभाग का कहना है, आने वाले दिनों में हवा की धीमी गति और पराली जलाने के बढ़े मामलों से स्थिति और बिगड़ सकती है।

प्रदूषण की वजह से निर्माण एवं विध्वंस कार्यों पर रोक
राजधानी में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार ने निर्माण एवं विध्वंस कार्यों पर रोक लगा दी है। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के आदेश पर दिल्ली में ग्रेप के तीसरे चरण की पाबंदियों को लागू करने का निर्णय लिया गया है। निर्माण कार्यों पर रोक की निगरानी के लिए 586 टीमें बनाई गई हैं। पानी के छिड़काव के लिए 521 मशीनें, 233 एंटी स्मॉग गन और 150 मोबाईल एंटी स्मॉग गन को  लगाया गया है।

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने रविवार को सिविल लाइंस स्थित अपने आवास पर कहा कि विशेषज्ञों की राय के अनुसार एक नवंबर से हवा की गति चार से आठ किलोमीटर प्रतिघंटा होने का अंदेशा है। हवा का रूख उत्तर-पश्चिम होने का अनुमान है, जिसकी वजह से दिल्ली का एक्यूआई 400 से ऊपर जा सकता है, जो गंभीर श्रेणी में आता है। इसलिए एक दिन पहले सीएक्यूएम ने आदेश जारी किया है कि ग्रेप के तीसरे चरण को लागू किया जाए। सरकार ने दिल्ली के अंदर निर्माण से जुड़ी हुई एजेंसियों के साथ बैठक की। 

मंत्री ने कहा कि कई बार यह देखने में निर्माण पर पाबंदी के आदेश के बावजूद भी गतिविधियां चलती रहती हैं। इन्हें रोकने के लिए 586 टीमों का गठन किया है, जो लगातार निर्माण व विध्वंस स्थलों का निरीक्षण करेंगी। 

इन विभागों को मिलेगी छूट
रेलवे स्टेशन, मेट्रो, हवाई अड्डे, राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित निर्माण तथा विध्वंस साइट, अंतर्राज्यीय बस अड्डे, अस्पताल, सड़क एवं राजमार्ग, फ्लाईओवर, बिजली, सीवर लाईन, स्वचछता परियोजनाओं पर निर्माण संबंधी छूट रहेगी। इसके साथ-साथ दिल्ली के अंदर जो आंतिरक कार्य हैं, जैसे प्लंबिग का कार्य, बिजली फिटिंग का कार्य व फर्निचर के काम की छूट रहेगी। निर्माण तथा विध्वंस स्थलों पर बोरिंग, ड्रिलिंग, खुदाई तथा भराई के काम पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा। निर्माण एवं बिल्डिंग संचालन सहित तमाम संरचनात्मक निर्माण कार्य पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी। विध्वंस कार्य बंद रहेगा। निर्माण तथा विध्वंस साईट पर लोडिंग अनलोडिंग पर प्रतिबंध रहेगा। कच्चे माल के स्थानांतरण मैनुअल तथा राख सहित प्रतिबंध रहेगा। कच्ची सड़कों पर वाहनों के आने जाने पर पाबंदी रहेगी। 

प्रदूषण कम करने के लिए 10 एंटी स्मॉग गन को हरी झंडी
प्रदूषण को कम करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने अपने विधानसभा क्षेत्र शहादरा में 10 एंटी स्मॉग गन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए संकल्पित है। धूल रोधी नियमों को लागू करने और निगरानी के लिए पर्यावरण विभाग ने पूरी दिल्ली में विशेष रूप से 586 टीमों का गठन किया है। विंटर सीजन में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए  निर्माण स्थलों पर एक   महीने तक चलने वाला एंटी डस्ट अभियान शुरू किया है। 

सख्ती दिखा रही असर
वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर सख्ती का असर सड़कों पर दिखने लगा है। पिछले कुछ सप्ताह से सड़कों पर रोजाना 32-35 हजार वाहनों की प्रदूषण जांच करवाई जा रही है। वाहनों के लिए नियंत्रित प्रदूषण प्रमाण पत्र(पीयूसीसी)न होने से भारी जुर्माना से बचने के लिए जांच में बढ़ोतरी हो रही है। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर गंभीर ना हो इसके लिए परिवहन विभाग, ट्रैफिक पुलिस की टीमें जगह जगह मुुस्तैद हैं। ताकि नियमों की अनदेखी न हो। अक्तूबर के 30 दिन में 7 लाख से अधिक पीयूसीसी जांच करवाने का अनुमान है।

वाहनों के प्रदूषण जांच के लिए दिल्ली में पेट्रोल और सीएनजी पंप पर प्रदूषण जांच केंद्र बनाए गए हैं। जांच के लिए पंपों पर वाहनों की लंबी लाइन भी रोजाना लगती है। प्रदूषण पर सख्ती करते हुए परिवहन विभाग ने जगह जगह पर 86 टीमें तैनात की हैं। कम चौड़ाई की सड़कों पर कार्रवाई के लिए इस बार प्रवर्तन टीम को दोपहिया वाहन भी मुहैया करवाए गए हैं। दिल्ली में रोजाना लाखों की संख्या में सड़कों में वाहन चलते हैं। कई वाहन चालकों के सर्टिफिकेट की मियाद खत्म होने के बाद भी उन्हें याद नहीं रहने की वजह से जुर्माना भरना पड़ता है। अधिकारियों के मुताबिक, रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ और पेट्रोल पंपों पर बगैर पीयूसीसी ईंधन न देने की दिशा में फिलहाल पहल नहीं की गई है। इससे भी वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।  

नियमों की अनदेखी पर जुर्माना : प्रदूषण जांच के लिए वाहन मालिकों को जागरूक किया जा रहा है ताकि नियमों की अनदेखी न हो। बावजूद इसके कुछ वाहन मालिकों की बेफिक्री  के कारण उन्हें जुर्माना का भुगतान करना पड़ रहा है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर शिकंजा कसने के लिए रोजाना कार्रवाई चल रही है। नियमों की अनदेखी करने वालों पर 10 हजार रुपये का जुर्माने का प्रावधान है। 

दो अभियान नहीं हो सके शुरू : वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर शिकंजा कसने के लिए दो अभियान को इस माह चालू नहीं किया जा सका। ‘रेड लाइट ऑन गाड़ी बंद’ अभियान की शुरुआत के लिए मंजूरी नहीं मिल सकी है। इससे पहले 25 अक्तूबर से पीयूसीसी के बगैर पेट्रोल समेत दूसरे ईंधन भी नहीं दिए जाने की तैयारी कर ली गई, लेकिन लागू होने में देरी हुई।

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राष्ट्रीय राजधानी के प्रदूषण (पीएम 2.5) में पराली के धुएं की हिस्सेदारी रविवार को इस साल के सर्वोच्च स्तर 26 फीसदी पर पहुंच गई। इसमें खेतों में पराली जलाने के मामले बढ़ने व दिल्ली-एनसीआर तक प्रदूषण पहुंचाने में अनुकूल मौसम का बड़ा योगदान है। शनिवार को दिल्ली के वातावरण में मौजूद पीएम 2.5 में पराली की हिस्सेदारी 21 फीसदी थी।

दिल्ली की वायु गुणवत्ता रविवार को भी बेहद खराब श्रेणी में रही। कुछ इलाकों में यह गंभीर श्रेणी में पहुंच गई। रविवार सुबह 9 बजे दिल्ली का औसत एक्यूआई 367 और शाम 4 बजे 352 दर्ज किया गया। शनिवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 397 रहा था। दिल्ली के आनंद विहार इलाके में रविवार को एक्यूआई 449 पर पहुंच गया। मौसम विभाग का कहना है, आने वाले दिनों में हवा की धीमी गति और पराली जलाने के बढ़े मामलों से स्थिति और बिगड़ सकती है।

प्रदूषण की वजह से निर्माण एवं विध्वंस कार्यों पर रोक

राजधानी में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार ने निर्माण एवं विध्वंस कार्यों पर रोक लगा दी है। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के आदेश पर दिल्ली में ग्रेप के तीसरे चरण की पाबंदियों को लागू करने का निर्णय लिया गया है। निर्माण कार्यों पर रोक की निगरानी के लिए 586 टीमें बनाई गई हैं। पानी के छिड़काव के लिए 521 मशीनें, 233 एंटी स्मॉग गन और 150 मोबाईल एंटी स्मॉग गन को  लगाया गया है।

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने रविवार को सिविल लाइंस स्थित अपने आवास पर कहा कि विशेषज्ञों की राय के अनुसार एक नवंबर से हवा की गति चार से आठ किलोमीटर प्रतिघंटा होने का अंदेशा है। हवा का रूख उत्तर-पश्चिम होने का अनुमान है, जिसकी वजह से दिल्ली का एक्यूआई 400 से ऊपर जा सकता है, जो गंभीर श्रेणी में आता है। इसलिए एक दिन पहले सीएक्यूएम ने आदेश जारी किया है कि ग्रेप के तीसरे चरण को लागू किया जाए। सरकार ने दिल्ली के अंदर निर्माण से जुड़ी हुई एजेंसियों के साथ बैठक की। 

मंत्री ने कहा कि कई बार यह देखने में निर्माण पर पाबंदी के आदेश के बावजूद भी गतिविधियां चलती रहती हैं। इन्हें रोकने के लिए 586 टीमों का गठन किया है, जो लगातार निर्माण व विध्वंस स्थलों का निरीक्षण करेंगी। 

इन विभागों को मिलेगी छूट

रेलवे स्टेशन, मेट्रो, हवाई अड्डे, राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित निर्माण तथा विध्वंस साइट, अंतर्राज्यीय बस अड्डे, अस्पताल, सड़क एवं राजमार्ग, फ्लाईओवर, बिजली, सीवर लाईन, स्वचछता परियोजनाओं पर निर्माण संबंधी छूट रहेगी। इसके साथ-साथ दिल्ली के अंदर जो आंतिरक कार्य हैं, जैसे प्लंबिग का कार्य, बिजली फिटिंग का कार्य व फर्निचर के काम की छूट रहेगी। निर्माण तथा विध्वंस स्थलों पर बोरिंग, ड्रिलिंग, खुदाई तथा भराई के काम पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा। निर्माण एवं बिल्डिंग संचालन सहित तमाम संरचनात्मक निर्माण कार्य पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी। विध्वंस कार्य बंद रहेगा। निर्माण तथा विध्वंस साईट पर लोडिंग अनलोडिंग पर प्रतिबंध रहेगा। कच्चे माल के स्थानांतरण मैनुअल तथा राख सहित प्रतिबंध रहेगा। कच्ची सड़कों पर वाहनों के आने जाने पर पाबंदी रहेगी। 

प्रदूषण कम करने के लिए 10 एंटी स्मॉग गन को हरी झंडी

प्रदूषण को कम करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने अपने विधानसभा क्षेत्र शहादरा में 10 एंटी स्मॉग गन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए संकल्पित है। धूल रोधी नियमों को लागू करने और निगरानी के लिए पर्यावरण विभाग ने पूरी दिल्ली में विशेष रूप से 586 टीमों का गठन किया है। विंटर सीजन में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए  निर्माण स्थलों पर एक   महीने तक चलने वाला एंटी डस्ट अभियान शुरू किया है। 

सख्ती दिखा रही असर

वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर सख्ती का असर सड़कों पर दिखने लगा है। पिछले कुछ सप्ताह से सड़कों पर रोजाना 32-35 हजार वाहनों की प्रदूषण जांच करवाई जा रही है। वाहनों के लिए नियंत्रित प्रदूषण प्रमाण पत्र(पीयूसीसी)न होने से भारी जुर्माना से बचने के लिए जांच में बढ़ोतरी हो रही है। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर गंभीर ना हो इसके लिए परिवहन विभाग, ट्रैफिक पुलिस की टीमें जगह जगह मुुस्तैद हैं। ताकि नियमों की अनदेखी न हो। अक्तूबर के 30 दिन में 7 लाख से अधिक पीयूसीसी जांच करवाने का अनुमान है।

वाहनों के प्रदूषण जांच के लिए दिल्ली में पेट्रोल और सीएनजी पंप पर प्रदूषण जांच केंद्र बनाए गए हैं। जांच के लिए पंपों पर वाहनों की लंबी लाइन भी रोजाना लगती है। प्रदूषण पर सख्ती करते हुए परिवहन विभाग ने जगह जगह पर 86 टीमें तैनात की हैं। कम चौड़ाई की सड़कों पर कार्रवाई के लिए इस बार प्रवर्तन टीम को दोपहिया वाहन भी मुहैया करवाए गए हैं। दिल्ली में रोजाना लाखों की संख्या में सड़कों में वाहन चलते हैं। कई वाहन चालकों के सर्टिफिकेट की मियाद खत्म होने के बाद भी उन्हें याद नहीं रहने की वजह से जुर्माना भरना पड़ता है। अधिकारियों के मुताबिक, रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ और पेट्रोल पंपों पर बगैर पीयूसीसी ईंधन न देने की दिशा में फिलहाल पहल नहीं की गई है। इससे भी वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।  

नियमों की अनदेखी पर जुर्माना : प्रदूषण जांच के लिए वाहन मालिकों को जागरूक किया जा रहा है ताकि नियमों की अनदेखी न हो। बावजूद इसके कुछ वाहन मालिकों की बेफिक्री  के कारण उन्हें जुर्माना का भुगतान करना पड़ रहा है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर शिकंजा कसने के लिए रोजाना कार्रवाई चल रही है। नियमों की अनदेखी करने वालों पर 10 हजार रुपये का जुर्माने का प्रावधान है। 

दो अभियान नहीं हो सके शुरू : वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर शिकंजा कसने के लिए दो अभियान को इस माह चालू नहीं किया जा सका। ‘रेड लाइट ऑन गाड़ी बंद’ अभियान की शुरुआत के लिए मंजूरी नहीं मिल सकी है। इससे पहले 25 अक्तूबर से पीयूसीसी के बगैर पेट्रोल समेत दूसरे ईंधन भी नहीं दिए जाने की तैयारी कर ली गई, लेकिन लागू होने में देरी हुई।

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