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विशेष साक्षात्कार: भूपेंद्र सिंह चौधरी बोले- संगठन ही बनाता है सरकार, लोकसभा चुनाव में विपक्ष कोई चुनौती नहीं

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भारी भरकम उम्मीदों के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने वाले भूपेंद्र सिंह चौधरी आश्वस्त हैं कि अगले लोकसभा चुनाव में पार्टी यूपी की सभी 80 सीटों पर भगवा लहराएगी। उन्होंने कहा कि विपक्ष बिखरा हुआ है, हमारे सामने उसकी कोई चुनौती नहीं है। विशेष बातचीत में भूपेंद्र ने कहा कि  इसमें कोई संदेह नहीं कि संगठन सरकार से बड़ा है, वस्तुत: संगठन से ही सरकार बनती है। 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद आपकी प्राथमिकता क्या रहेगी?
सभी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं को घर-घर पहुंचाना पहला काम है। पार्टी के सेवा से जुड़े कार्यों के जरिए समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ना है। निकाय चुनावों में शत-प्रतिशत सीटें जीतने के बाद अगले वर्ष होने वाले विधान परिषद के स्नातक क्षेत्र और शिक्षक क्षेत्र की कुल पांच सीटों पर चुनाव होने हैं। इनमें से तीन सीटें वर्तमान में भाजपा के पास है। हमारा प्रयास रहेगा चुनाव में सभी पांच सीटें जीतें। निकाय चुनाव में भी सभी 17 नगर निगम में पार्टी की जीत होगी। 

मिशन 2024 का लक्ष्य कैसे पूरा करेंगे?
भाजपा का संगठनात्मक ढांचा बहुत प्रभावी है। हम तकनीक का उपयोग कर उसे और प्रभावी बना रहे हैं। कार्यकर्ताओं की सक्रियता और नेतृत्व के प्रति विश्वास के आधार पर लक्ष्य पूरा करेंगे। मोदी सरकार के कार्य की सार्थक चर्चा आज भी होती है। इसके आधार पर मैं कह सकता हूं कि हम निश्चित रूप से सभी 80 सीटें जीतेंगे।

लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कौन होगा सपा या बसपा?
अभी तो भाजपा के सामने मुकाबले में कोई नहीं है। बसपा सुप्रीमो के बारे में सबको पता है कि वह कहां है? अखिलेश यादव के बारे में उनके गठबंधन के पूर्व सहयोगी ही बता रहे हैं कि वे कहां रहते हैं और उनकी राजनीति में सक्रियता कितनी है। वहीं भाजपा कार्यकर्ता हमेशा सक्रिय रहते हैं। मैदान में सपा, बसपा और कांग्रेस कहीं नहीं है।

कार्यकर्ताओं के फीडबैक के आधार पर सरकार के कामकाज की मॉनिटरिंग का क्या सिस्टम है?
हमारा सूचना तंत्र कार्यकर्ता हैं, पार्टी के पास सरकारी कोई सिस्टम नहीं है। हम अपने कार्यकर्ताओं के सूचना के आधार पर पार्टी व सरकार के स्तर पर समाधान का प्रयास करते हैं। फीडबैक को सरकार के साथ साझा करते हैं। भाजपा का कार्यकर्ता सक्रिय है वह समाज के बीच रहता है। कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक के आधार पर सरकार से समन्वय के लिए अलग-अलग स्तर पर टीम है। संगठन से सरकार को फीडबैक मिलता रहेगा, उसके आधार पर प्राथमिकता तय होती रहेगी।

अक्सर विधायक और पदाधिकारी अधिकारियों के काम से नाराज रहते हैं, इससे कैसे निपटेंगे?
राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में लोग अपेक्षा से काम करते हैं। हम लोग अलग-अलग फोरम पर बैठकर सरकार को इनसे अवगत कराते हैं। सभी काम नहीं हो सकते हैं, लेकिन जो काम होने वाले हैं, वे जरूर होंगे। कार्यकर्ताओं की प्रारंभिक समस्याओं का समाधान सरकार से कराने की व्यवस्था है।

संगठन को लेकर डिप्टी सीएम केशव मौर्य के बयान से क्या आप सहमत हैं?
संगठन से सरकार बनती है। हमारा संगठन 1951 में बन गया था, लेकिन केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का अवसर 2014 में मिला। पीएम मोदी भी भाजपा को अपनी मां कहते हैं, संगठन नहीं होता तो सरकार कैसी बनती। इसलिए संगठन सरकार से बड़ा होता है।

आप जाट समाज से हैं, पश्चिम में सपा-रालोद गठबंधन पर कितना असर होगा?
मेरे लिए गर्व की बात है कि किसान परिवार और जाट समाज में पैदा हुआ। लेकिन मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं। जहां तक रालोद-सपा गठबंधन का सवाल है तो पिछले चुनाव के नतीजे से साफ है कि पश्चिमी यूपी में भाजपा को अच्छा परिणाम मिला है। जो नेरेटिव सेट किया गया, उसमें सच्चाई नहीं है। बागपत रालोद का गढ़ था, वहां भाजपा ने दो सीट जीती है। मथुरा में पांचों सीटें जीतीं। विधानसभा चुनाव में पहला चरण सपा-रालोद के प्रभाव वाला क्षेत्र था, लेकिन भाजपा ने 58 में से 46 सीटें जीतीं। इससे अच्छा प्रदर्शन नहीं हो सकता। हम प्रमुखता से अपनी बात रखते हैं इससे सरकार और समाज हमारी बात सुनते हैं। जाट भाजपा के साथ हैं, भाजपा को ही वोट देते हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में भाजपा कुछ सीटें हारी थी, अब क्या रणनीति है?
लोकसभा चुनाव 2019 में पश्चिमी यूपी में भाजपा 7 सीटें हारी थी। अब हमने सातों सीटों पर काम शुरू कर दिया है, उसमें से रामपुर उपचुनाव जीत भी गए हैं। हारी सीटों पर जीत की रणनीति बनाकर काम कर रहे हैं। परिणाम हमारे पक्ष में होंगे।

गन्ना मूल्य को लेकर आप का क्या नजरिया है?
सपा-बसपा सरकार में चीनी मिलों को बेचा जा रहा था। अब विपक्षी दल एजेंडा सेट कर रहे हैं। भाजपा सरकार ने किसानों को गन्ना मूल्य का रिकॉर्ड भुगतान कराया है। गन्ना भुगतान को लेकर कोई आंदोलन अब नहीं हो रहा है। विपक्षी दलों ने किसानों को मुद्दा बनाकर अपना राजनीति हित साधा। कथित किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा था कि उन्होंने अखिलेश को पिच तैयार करके दी थी, वह बैटिंग नहीं कर पाए तो क्या करें? विपक्षी दल किसानों को हथियार बनाकर अपनी संभावना तलाश रहे हैं। लेकिन जनता ने उन्हें हर चुनाव में नकार दिया है।

नई टीम की घोषणा कब तक करेंगे?
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संभवत: फरवरी में होना है उससे पहले संगठनात्मक टीम खड़ी हो जाएगी। वार्ड से लेकर प्रदेश तक टीम तैयार की जाएगी।

पांच मंत्री अब भी सरकार में बने हुए हैं उनके लिए क्या योजना है?
जो मंत्री संगठन के पद पर हैं, उन पर पार्टी विचार कर रही है। एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत का पालन कराया जाएगा। बहुत जल्द नई व्यवस्था होगी।

कार्यकर्ताओं को संगठन में कितना मौका मिलेगा?
भाजपा के सारे पद कार्यकर्ताओं के लिए हैं, परिवार के लिए कोई पद आरक्षित नहीं है। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति सभी सामान्य कार्यकर्ता से इस मुकाम तक पहुंचे हैं। परिवार की विरासत को बढ़ाने वाले बहुत कम लोग हैं, पार्टी में बहुत संभावनाएं हैं।

विस्तार

भारी भरकम उम्मीदों के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने वाले भूपेंद्र सिंह चौधरी आश्वस्त हैं कि अगले लोकसभा चुनाव में पार्टी यूपी की सभी 80 सीटों पर भगवा लहराएगी। उन्होंने कहा कि विपक्ष बिखरा हुआ है, हमारे सामने उसकी कोई चुनौती नहीं है। विशेष बातचीत में भूपेंद्र ने कहा कि  इसमें कोई संदेह नहीं कि संगठन सरकार से बड़ा है, वस्तुत: संगठन से ही सरकार बनती है। 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद आपकी प्राथमिकता क्या रहेगी?

सभी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं को घर-घर पहुंचाना पहला काम है। पार्टी के सेवा से जुड़े कार्यों के जरिए समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ना है। निकाय चुनावों में शत-प्रतिशत सीटें जीतने के बाद अगले वर्ष होने वाले विधान परिषद के स्नातक क्षेत्र और शिक्षक क्षेत्र की कुल पांच सीटों पर चुनाव होने हैं। इनमें से तीन सीटें वर्तमान में भाजपा के पास है। हमारा प्रयास रहेगा चुनाव में सभी पांच सीटें जीतें। निकाय चुनाव में भी सभी 17 नगर निगम में पार्टी की जीत होगी। 

मिशन 2024 का लक्ष्य कैसे पूरा करेंगे?

भाजपा का संगठनात्मक ढांचा बहुत प्रभावी है। हम तकनीक का उपयोग कर उसे और प्रभावी बना रहे हैं। कार्यकर्ताओं की सक्रियता और नेतृत्व के प्रति विश्वास के आधार पर लक्ष्य पूरा करेंगे। मोदी सरकार के कार्य की सार्थक चर्चा आज भी होती है। इसके आधार पर मैं कह सकता हूं कि हम निश्चित रूप से सभी 80 सीटें जीतेंगे।

लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कौन होगा सपा या बसपा?

अभी तो भाजपा के सामने मुकाबले में कोई नहीं है। बसपा सुप्रीमो के बारे में सबको पता है कि वह कहां है? अखिलेश यादव के बारे में उनके गठबंधन के पूर्व सहयोगी ही बता रहे हैं कि वे कहां रहते हैं और उनकी राजनीति में सक्रियता कितनी है। वहीं भाजपा कार्यकर्ता हमेशा सक्रिय रहते हैं। मैदान में सपा, बसपा और कांग्रेस कहीं नहीं है।

कार्यकर्ताओं के फीडबैक के आधार पर सरकार के कामकाज की मॉनिटरिंग का क्या सिस्टम है?

हमारा सूचना तंत्र कार्यकर्ता हैं, पार्टी के पास सरकारी कोई सिस्टम नहीं है। हम अपने कार्यकर्ताओं के सूचना के आधार पर पार्टी व सरकार के स्तर पर समाधान का प्रयास करते हैं। फीडबैक को सरकार के साथ साझा करते हैं। भाजपा का कार्यकर्ता सक्रिय है वह समाज के बीच रहता है। कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक के आधार पर सरकार से समन्वय के लिए अलग-अलग स्तर पर टीम है। संगठन से सरकार को फीडबैक मिलता रहेगा, उसके आधार पर प्राथमिकता तय होती रहेगी।

अक्सर विधायक और पदाधिकारी अधिकारियों के काम से नाराज रहते हैं, इससे कैसे निपटेंगे?

राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में लोग अपेक्षा से काम करते हैं। हम लोग अलग-अलग फोरम पर बैठकर सरकार को इनसे अवगत कराते हैं। सभी काम नहीं हो सकते हैं, लेकिन जो काम होने वाले हैं, वे जरूर होंगे। कार्यकर्ताओं की प्रारंभिक समस्याओं का समाधान सरकार से कराने की व्यवस्था है।

संगठन को लेकर डिप्टी सीएम केशव मौर्य के बयान से क्या आप सहमत हैं?

संगठन से सरकार बनती है। हमारा संगठन 1951 में बन गया था, लेकिन केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का अवसर 2014 में मिला। पीएम मोदी भी भाजपा को अपनी मां कहते हैं, संगठन नहीं होता तो सरकार कैसी बनती। इसलिए संगठन सरकार से बड़ा होता है।

आप जाट समाज से हैं, पश्चिम में सपा-रालोद गठबंधन पर कितना असर होगा?

मेरे लिए गर्व की बात है कि किसान परिवार और जाट समाज में पैदा हुआ। लेकिन मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं। जहां तक रालोद-सपा गठबंधन का सवाल है तो पिछले चुनाव के नतीजे से साफ है कि पश्चिमी यूपी में भाजपा को अच्छा परिणाम मिला है। जो नेरेटिव सेट किया गया, उसमें सच्चाई नहीं है। बागपत रालोद का गढ़ था, वहां भाजपा ने दो सीट जीती है। मथुरा में पांचों सीटें जीतीं। विधानसभा चुनाव में पहला चरण सपा-रालोद के प्रभाव वाला क्षेत्र था, लेकिन भाजपा ने 58 में से 46 सीटें जीतीं। इससे अच्छा प्रदर्शन नहीं हो सकता। हम प्रमुखता से अपनी बात रखते हैं इससे सरकार और समाज हमारी बात सुनते हैं। जाट भाजपा के साथ हैं, भाजपा को ही वोट देते हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में भाजपा कुछ सीटें हारी थी, अब क्या रणनीति है?

लोकसभा चुनाव 2019 में पश्चिमी यूपी में भाजपा 7 सीटें हारी थी। अब हमने सातों सीटों पर काम शुरू कर दिया है, उसमें से रामपुर उपचुनाव जीत भी गए हैं। हारी सीटों पर जीत की रणनीति बनाकर काम कर रहे हैं। परिणाम हमारे पक्ष में होंगे।

गन्ना मूल्य को लेकर आप का क्या नजरिया है?

सपा-बसपा सरकार में चीनी मिलों को बेचा जा रहा था। अब विपक्षी दल एजेंडा सेट कर रहे हैं। भाजपा सरकार ने किसानों को गन्ना मूल्य का रिकॉर्ड भुगतान कराया है। गन्ना भुगतान को लेकर कोई आंदोलन अब नहीं हो रहा है। विपक्षी दलों ने किसानों को मुद्दा बनाकर अपना राजनीति हित साधा। कथित किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा था कि उन्होंने अखिलेश को पिच तैयार करके दी थी, वह बैटिंग नहीं कर पाए तो क्या करें? विपक्षी दल किसानों को हथियार बनाकर अपनी संभावना तलाश रहे हैं। लेकिन जनता ने उन्हें हर चुनाव में नकार दिया है।

नई टीम की घोषणा कब तक करेंगे?

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संभवत: फरवरी में होना है उससे पहले संगठनात्मक टीम खड़ी हो जाएगी। वार्ड से लेकर प्रदेश तक टीम तैयार की जाएगी।

पांच मंत्री अब भी सरकार में बने हुए हैं उनके लिए क्या योजना है?

जो मंत्री संगठन के पद पर हैं, उन पर पार्टी विचार कर रही है। एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत का पालन कराया जाएगा। बहुत जल्द नई व्यवस्था होगी।

कार्यकर्ताओं को संगठन में कितना मौका मिलेगा?

भाजपा के सारे पद कार्यकर्ताओं के लिए हैं, परिवार के लिए कोई पद आरक्षित नहीं है। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति सभी सामान्य कार्यकर्ता से इस मुकाम तक पहुंचे हैं। परिवार की विरासत को बढ़ाने वाले बहुत कम लोग हैं, पार्टी में बहुत संभावनाएं हैं।

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