भिलाईएक घंटा पहले
समय पर इलाज मिलने से बची हार्ट अटैक के मरीजों की जान
पिछले तीन सालों में खासकर कोविड की पहली और दूसरी लहर में कोरोनावायरस से संक्रमित हुए लोगों में खून गाढ़ा होने की शिकायत आ रही है। इससे आर्ट अटैक का खतरा बढ़ रहा है। हार्ट अटैक आने के बाद जिन लोगों को समय पर इलाज मिल जा रहा है उनकी जान तो बच जा रही है, लेकिन जिन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है वो काल का ग्रास बन जा रहे हैं।
सबसे बड़ी समस्या गरीब लोगों के साथ हो रही है। पैसे के अभाव में ये लोग सामान्य डॉक्टरों के इलाज में पड़ जाते हैं। डॉक्टर उन्हें सामान्य दर्द व एंटीबायोटिक की दवा देकर इलाज करता है। इस दौरान जब उन्हें अटैक आता है तब उन्हें असली बीमारी का पता चल पाता है। ऐसे में उनके पास इतने पैसे नहीं होते कि वो बड़े अस्पताल में इलाज करा सके। ऐसे लोगों के लिए आयुष्मान योजना जीवनदान देने वाली साबित हो रही है। राजनांदगांव, भानुप्रतापपुर और बेमतरा जिले से आए तीन बुजुर्ग मरीजों की जान आयुष्मान योजना से बची। यदि इस योजना से इनका समय पर स्पर्श मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में इलाज नहीं होता तो इनकी जान चली जाती है।
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. असलम खान
स्पर्श हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट और मैक्स हॉस्पिटल नई दिल्ली से रिटर्न डॉ. असलम खान ने बताया कि कुछ दिन पहले उनके पास बेमेतरा जिले से 59 वर्षीय समलिया, भानु प्रतापपुर से 60 वर्षीय राम बाई और राजनांदगांव से 70 वर्षीय मोमबाई यादव नाम के मरीज आए थे। उन्हें हार्ट अटैक आया था। वो बीपीएल परिवार से थे। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो बड़े ह़ॉस्पिटल में इलाज करा सके। इसके बाद आयुष्मान योजना से उनका इलाज शुरू किया गया। जांच करने पर उनका बीपी काफी लो आ रहा था। सीने में काफी दर्द था। सभी जरूरी जांचों के बाद उनकी तुरंत एंजियो प्लास्टी की गई। यदि एंजियो प्लास्टी में जरा भी देर होती तो उनकी जान भी जा सकती है।
रात में करनी पड़ी एंजियो प्लास्टी
भानुप्रतापपुर से 70 वर्षीय राम बाई को कुछ दिन पहले देर रात 12 बजे लाया गया था। उनकी हालत काफी क्रिटिकल थी। बीपी काफी लो था। हाथ पैर ठंडे पड़ गए थे। इसके बाद पूरी कार्डियोलॉजी विभाग की टीम रात में अस्पताल पहुंची। उन्होंने रात में राम बाई का एंजियो प्लास्टी किया। इससे उसकी जान बची। 12 घंटे बाद जब उसे होश आया तो सभी ने राहत की सांस ली। यदि रात में उसका एंजियो नहीं किया जाता तो सुबह तक उसकी जान भी जा सकती है।
हार्ट अटैक के बाद 2 घंटे होते हैं काफी अहम
डॉ. असलम खान का कहना है कि हार्ट अटैक आने के बाद के 2 घंटे सबसे अहम होते हैं। यदि इन दो घंटों के भीतर मरीज को अच्छे अस्पताल में पहुंचा दिया गया और उसे समय पर इलाज मिल जाए तो 70 प्रतिशत चांस होते हैं कि उसकी जान को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा आयुष्मान योजना में इसका इलाज है। काफी मरीजों की जान इस योजना से इलाज के बाद बच रही है।
जागरुकता है जरूरी
डॉ. असलम का कहना है कि लोगों को इस मर्ज के प्रति जागरूक होना बहुत जरूरी है। उन्हें ये समझाना होगा कि क्यों पहले दो घंटे मरीज की जान के लिए इतना अहम है। या हार्ट अटैक आने के बाद इन दो घंटों के भीतर मरीज को क्या-क्या करना चाहिए। मरीज को किस तरह के अस्पताल में जल्द से जल्द पहुंचाना चाहिए। उन्हें स्थानीय छोटे डॉक्टरों के इलाज के फेर में नहीं पड़ना चाहिए।
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