कृष्ण कुमार/ नागौर. कहते है कि संघर्ष ही व्यक्ति के महान और काबिल बनाता है. एक ऐसे व्यक्ति के संघर्ष के बारे में बताने जा रहे है. जिनके पिता का साया बचपन में ही छूट गया लेकिन बड़े भाईयों ने पिता की कमी महसूस नहीं होने दी और उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी ली वर्तमान में वह नागौर में सहायक कृषि निदेशक के पद पर कार्यरत है.
दरअसल नागौर के डेगान तहसील में छोटा सा गांव खेरवा के रहने वाले शंकरराम सियाक गांव के पहले ऐसे व्यक्ति है. जिन्होंने वर्ष 1998 में नेट क्लियर किया. लेकिन इस नेट क्लियर करने के लिए कई प्रकार की चुनौतियां का सामना करना पड़ा. शंकरराम सियाक की शिक्षा गांव के राजकीय विद्यालय में कक्षा 5 तक हुई. शंकरराम सियाक को बचपन से अन्य कार्यों में रुचि नही बल्कि शिक्षा ग्रहण करके कुछ बड़े पद पर कार्य करना के सपना था जिन्होंन आज बड़े पद को ग्रहण कर लिया है.
शंकराराम सियाक बताते है कि मैने कक्षा पांच से आगे पढ़ाई करने के लिए कक्षा आठ तक रोजना तीन किलोमीटर पैदल आना व जाना किया. 6 किलोमीटर की दूरी तय करके गांव की नजदीकी सरकारी विद्यालय हिरणी ढ़ाणी में पढ़ाई की. कक्षा आठ से आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए कक्षा 9 की पढ़ाई रोजाना 7 किलोमीटर पैदल जाना व आना यानि कि 14 किलोमीटर की दूरी तय किया करते थे. वहीं आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए कुचेरा आ गए और वहां पर 12 वीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद उदयपुर तो कभी जयपुर में रहकर पढ़ाई की. शंकरारम सियाक ने जोबनेर से एग्रीकल्चर से BSC की. वहीं पीजी करने के लिए उदयपुर में पढ़ाई की और नेट, B Ed को क्लियर किया.
शंकरराम सियाक ने बताया कि मैने कई पदों की प्रतियोगिता परीक्षा दी लेकिन एक में भी असफलता नहीं मिली. मेरी सबसे पहले नौकरी 5 मार्च 2000 मे काजरी में SRF की पोस्ट पर लगी. उसके बाद 5 मार्च 2005 में मेरा चयन शिक्षा विभाग में हो गया, फिर 5 मार्च 2010 में मेरा चयन राजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर द्वारा आयोजित परीक्षा ऑल राजस्थान में मेरिट क्रमाक 5 पर सहायक कृषि अधिकारी के तौर पर हुआ. इसके बाद 5 अप्रेल 2016 को मेरा कृषि अधिकारी के पद पर promotion हो गया उसके बाद 2021 में सहायक निदेशक कृषि विभाग नागौर में हो गया.
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FIRST PUBLISHED : June 13, 2023, 13:37 IST
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