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पं. शर्मा ने कहा: पश्चिम में जाने से सूरज भी डूब जाता है, पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण कर अपने जीवन को ना डूबाएं

परवलिया31 मिनट पहले

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कथा का वाचन करते पं. शर्मा। - Dainik Bhaskar

कथा का वाचन करते पं. शर्मा।

जो समाजहित के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दें वह कलयुग के कृष्ण हैं। श्रीकृष्ण ने समाज के अंतिम व्यक्ति का भला करने के लिए अपने ईश्वरत्व को भुलाकर पूरा जीवन, पृथ्वी के कल्याण करने के लिए समर्पित कर दिया। उक्त विचार पं. पवन कृष्ण शर्मा शाजापुर ने श्री रणछोड़ राय मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन व्यक्त किए।

पं. शर्मा ने कहा कि यदि हम श्री कृष्ण की उपासना करते हैं, तो हमें भी जीवन में यह उद्देश्य रखना चाहिए कि हमारे पास जो भी है उसके माध्यम से हम समाज और लोक कल्याण के कार्य करते रहें। श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में गरीब, अमीर, जात-पात की सारी दीवारें गिराकर समाज के सारे तबके को यहां तक कि पशु, पक्षी सबको एक सूत्र में पिरो दिया।

गोवर्धन पूजन करा के ब्रजवासियों को जल जंगल और जमीन अर्थात पहाड़ों का महत्व समझाया कि हमें सुखी जीवन जीना है तो हमारी नदियों का और पहाड़ों का संरक्षण करें। पं. शर्मा ने युवाओं से आह्वान किया कि आधुनिक बनने के चक्कर में अपने धर्म इतिहास और संस्कृति को ना भूलें, पश्चिम में जाने से सूरज भी डूब जाता है।

इसलिए पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण कर अपने जीवन को ना डूबाए। जिनको अपने संस्कार और संस्कृति पर गर्व नहीं होता वह नस्लें खत्म हो जाए करती हैं। हमने उस सनातन संस्कृति में जन्म लिया है, जिसने पूरी दुनिया को भाईचारे और सभ्यता का पाठ पढ़ाया है, पंडित ने कहा कि मां-बाप का कर्तव्य है बच्चों को संस्कार दें क्योंकि बिना धन के तो व्यक्ति जी सकता है, पर बिना संस्कार के जीवन पशु के समान है। कथा में श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह का सुंदर वर्णन किया गया।

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