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500 साल पुराना पत्थर बताता है मौसम का पूर्वानुमान, वैज्ञानिक भी हैरान

सुमित भारद्वाज/पानीपत: आज के इस आधुनिक दौर में कुछ भी पता लगा पाना ज्यादा मुश्किल नहीं. आज हम घर के किसी भी कोने में बैठकर पूरी दुनिया की हलचल का पता लगा सकते हैं. ऐसे ही मौसम का हाल भी चंद सेकंड में जान सकते हैं. आने वाले दिनों में कहां मौसम कब और कैसे रहेगा? भारी बारिश होगी या फिर भीषण गर्मी? इसका मौसम विभाग पहले ही पूर्वानुमान लगा लेता है.

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आधुनिक टेक्नोलॉजी के आने से पहले हमारे पूर्वज मौसम का पूर्वानुमान कैसे लगाते थे. वैसे तो इस बारे में कई जगह बताया गया है. आज भी कुछ जगहों पर पुराने तरीके अपनाए जाते हैं. लेकिन आप पानीपत में एक पत्थर के बारे में जानकर हैरान रह जाएंगे जो मौसम का पूर्वानुमान आज भी बताता है. यह कोई साधारण पत्थर नहीं है, बल्कि एक ऐसा नायाब पत्थर है जो 500 साल पुराना बताया जाता है.

दावा किया जाता है कि यह पत्थर सालों पहले से मौसम विभाग का काम कर रहा है. पानीपत के बीचोबीच बनी ‘बू अली कलंदर शाह’ की दरगाह, जहां एक से बढ़कर एक सैकड़ों वर्ष पुराने पत्थर हैं. ऐसे ही पत्थरों में एक ऐसा नायाब पत्थर भी है, जिसे ‘मौसम पत्थर’ के नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले हमारे पूर्वज इसी पत्थर की सहायता से मौसम का पूर्वानुमान लगाते थे.

आपके शहर से (पानीपत​)

ऐसे बताता है मौसम का पूर्वानुमान
दरगाह पर रहने वाले मोहम्मद रेहान बताते हैं कि जब बारिश होने वाली होती है तो इस पत्थर पर पहले ही पानी की छोटी-छोटी बूंदे इकट्ठा हो जाती हैं. जब ज्यादा बारिश होने का अनुमान होता है तो यह पत्थर पूरा गीला हो जाता है. जब अधिक गर्मी पड़ने की संभावना होती है तो पत्थर पहले ही गर्म हो जाता है. सर्दियों में भी इसी तरह पत्थर का तापमान बदलता रहता है. मोहम्मद रेहान के पिता मोहम्मद सूफी जो दरगाह की देख-रेख किया करते थे, उन्हें इस पत्थर से मौसम को पढ़ना आता था. पानीपत में सिर्फ वही ऐसे शख्स थे जो इस पत्थर को पढ़ सकते थे. हाल ही में मोहम्मद सूफी का देहांत हो गया.

विदेशों से आई टीम ने जाना पत्थर का रहस्य
बता दें कि यह पत्थर इतना नायाब है की इसकी चर्चा देश से लेकर विदेशों तक में की जाती है. विदेश से आए कई लोग इस पत्थर के बारे में रिसर्च भी कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई भी सटीक जानकारी नहीं जुटा पाया कि इस पत्थर में ऐसी क्या खासियत है जो मौसम बदलने से पहले ही पत्थर का तापमान बदल जाता है.

जिन्न ने भेंट किया था पत्थर!
मोहम्मद रिहान बताते हैं कि उस वक्त कैराना के हकीम नवाब मुकर्रम अली ने इस पत्थर को कलंदर की दरगाह पर लगाया था. जनश्रुतियों के अनुसार, यह पत्थर हकीम मुकर्रम अली को जिन्न द्वारा भेंट किया गया था. कहा जाता है कि जिन्न की बेटी का इलाज मुकर्रम अली ने किया था, जिससे खुश होकर उसने यह पत्थर भेंट किया था.

कौन थे बू अली शाह कलंदर?
कलंदर शाह का जन्म पानीपत में ही हुआ था. कलंदर शाह के माता-पिता इराक के रहने वाले थे. कलंदर शाह के पिता शेख फखरुद्दीन अपने समय के महान संत और विद्वान थे. इनकी मां हाफिजा जमाल भी धार्मिक प्रवृत्ति की थीं. हालांकि कलंदर शाह के जन्म स्थान को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं. कुछ लोगों का कहना है कि उनका जन्म तुर्की में हुआ, जबकि कई लोगों का कहना है कि उनका जन्म अजरबैजान में हुआ था.

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dp

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