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अनोखा संग्रह, यह शख्स 40 सालों से 20 से अधिक समाचार पत्रों का कर रहा संग्रहण

पुनीत माथुर/ जोधपुर. कहते हैं शौक बड़ी चीज है और शौक को पूरा करने का जुनून अगर दिल में हो तो व्यक्ति अपने शौक को आसानी से पूरा कर लेता है. ऐसा ही एक शौक जोधपुर के राजेंद्र सिंह गहलोत को है जिनके पास है समाचार पत्रों के अनूठा संग्रह और उन्होंने इस संग्रह को पूरा किया है अपनी छत के नीचे अपने घर में और पिछले 40 साल से उनका ये संग्रहण का सफर जारी है.

जोधपुर के भीतरी शहर जालोरियी का बास इलाके में रहने वाले यह है राजेंद्र सिंह गहलोत इन्हें 40 सालों से जोधपुर सहित राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के घटनाक्रम रोचक जानकारियों और दुर्लभ चित्रों के संग्रह का शौक है. वर्तमान में भी अपने घर पर 20 से ज्यादा समाचार पत्रों ,सप्ताहिक और मासिक पत्रिकाओं को मंगवाते हैं. साथ ही यूनिवर्सिटी में शोधार्थियों को भी जानकारियां उपलब्ध करवाते हैं. तीज त्यौहार आदि के चित्रों के साथ ही उनकी जानकारियां भी उपलब्ध करवाने वाले चित्र और खबरें उनके पास संग्रहित है.

गहलोत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से बहुत प्रभावित है कलाम की जन्मकुंडली से राष्ट्रपति बनने तक की यात्रा के फोटो गहलोत के पास संग्रहित है. यही नहीं गहलोत के पास 15 अगस्त 1947 के 3 मूल समाचार पत्रों की कॉपियां है. दुनिया की महत्वपूर्ण घटनाएं, प्रमुख लोग, युद्ध, स्वतंत्रता संग्राम, भारतीय रेलवे सहित हर तरह की जानकारी उनके पास उपलब्ध है और वह भी अखबारों के संग्रह के जरिए. गहलोत ने बताया कि उनका उद्देश्य विश्व शांति भाईचारा सद्भावना को बढ़ावा देने और बच्चों और युवाओं को उस समय की घटनाओं की जानकारी उपलब्ध करवाना है. ताकि उसे अपने जेहन में संजोकर रख सके.

गहलोत रेलवे से रिटायर कर्मचारी है गहलोत बताते हैं कि जब वे छोटे थे तब उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी पिता चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे और वे चार भाई थे दसवीं की पढ़ाई के बाद पिताजी ने कामकाज करने की सलाह दी. ऐसी स्थिति में गहलोत ने फैक्टरी में काम शुरू किया ट्यूशन किया. अपने स्तर पर पैसे भी कमाए और पढ़ाई भी की. इनमें से कुछ राशि बचाकर अखबार लाते और पढ़ते. गहलोत ने एमकॉम एलएलबी सहित कई डिग्रियां ली है. गहलोत रेलवे में कार्यालय अधीक्षक पद पर कार्य कर चुके है.

गहलोत बताते हैं कि पुराने समाचार पत्रों को संग्रहित रखना एक चैलेंज है वे मौसम के बदलने के साथ ही पेपर नष्ट होने लगता है इसके लिए वे विशेष तरह का मोम उस पर लगाते हैं और प्रतिवर्ष 5 से 6 हजार रुपये समाचार पत्रों को संग्रहित करने में उन्हें खर्च करने होते हैं.

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FIRST PUBLISHED : June 09, 2023, 18:04 IST

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dp

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