पटना: पटना में विपक्ष की बैठक की तारीख 12 जून से बदलकर 23 जून कर दी गई है. यह स्थगन साफ दर्शाता है कि इसे राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की उपस्थिति दर्ज कराने के लिए किया गया है.
दरअसल इस बैठक में आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस भी उपस्थित होने वाले हैं. ऐसे में भारत की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी इसे एक लो-प्रोफाइल उपस्थित बनाना चाहती थी. कांग्रेस ने 12 जून से कुछ दिन पहले ही अपनी मौजूदगी की पुष्टि की है.
आप और टीमएसी ने डाला असमंजस में
अध्यादेश वाले मुद्दे पर कांग्रेस की चुप्पी के बीच आम आदमी पार्टी की मौजूदगी ने पार्टी के सामने असमंजस की स्थिति पैदा कर दी थी. लेकिन फिर राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष को समझाने पर कि पार्टी को विपक्षी एकता का नेतृत्व करना चाहिए और लो-प्रोफाइल प्रतिनिधिमंडल से यह संदेश जाएगा कि पार्टी इसे लेकर उदासीन थी.
राहुल गांधी और खड़गे की मौजूदगी की दो अहम वजह
राहुल गांधी और खड़गे की मौजूदगी की कुछ अहम वजह होंगी. पहला, कर्नाटक की जीत के बाद, जो पूरी तरह से कांग्रेस बनाम भाजपा की लड़ाई थी, देश की सबसे पुरानी पार्टी ने यह साबित कर दिया है कि वह अभी भी देश की सबसे ताकतवर पार्टी होने का माद्दा रखती है. साथ ही भारत भर में भाजपा का कोई जवाब अगर हो सकता है तो वह कांग्रेस है.
अब तक कई विपक्षी दलों जैसे टीएमसी और आप ने विपक्षी एकता का आधार कांग्रेस को मानने पर कोई हवा नहीं दी है, जैसा की 2004 में सोनिया गांधी के दौर में देखा गया था. लेकिन जयराम रमेश ने न्यूज 18 से बातचीत के दौरान साफ किया था कि, अगर कांग्रेस अहम भूमिका में नहीं होती है तो भाजपा के खिलाफ मोर्चा कभी सफल नहीं हो सकता है. कर्नाटक की जीत के बाद आक्रामक कांग्रेस पटना में भी इसी बात को दोहराएगी.
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दूसरा- कांग्रेस यह भी बतानी चाहती है कि राहुल गांधी के बगैर 2024 की बात होना संभव नहीं है. जो भूमिका 2004 में सोनिया गांधी की थी वहीं 2024 में राहुल गांधी की है. कांग्रेस उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार के एकमात्र अनवरत आलोचक के रूप में पेश करेगी जो लगातार उनसे भ्रष्टाचार के आरोपों पर सवाल पूछने की दम रखता है. कर्नाटक में भी यह फॉर्मूला काम आया.
कांग्रेस को नेतृत्व देने में एक अड़चन
लेकिन यहां एक अड़चन है. विपक्ष को लगता है कि 2024 में भाजपा विरोधी वोटों का विभाजन काम नहीं करेगा इसलिए कम से कम 450 सीटों पर संयुक्त उम्मीदवार को उतारा जाना चाहिए. न्यूयॉर्क में राहुल गांधी ने स्वीकारा था कि, जब हम एकता वार्ता के साथ अच्छी प्रगति कर रहे हैं तो हमें व्यक्तिगत स्थान के लिए लड़ाई में भी शामिल होना होगा.
यही वजह है कि विपक्ष के दबाव के बावजूद अभी तक कांग्रेस ने अध्यादेश के मुद्दे पर आप का समर्थन नहीं किया है क्योंकि पार्टी की पंजाब और दिल्ली इकाई ने इसका विरोध किया है. इसी तरह, बंगाल में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी टीएमसी को कोई जगह देने के खिलाफ हैं. यह राहुल गांधी और खड़गे के लिए एक चुनौती साबित हो सकता है भले ही वह अपनी मौजूदगी दर्ज करवाना चाहते हों.
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FIRST PUBLISHED : June 09, 2023, 13:27 IST
Source : https://hindi.news18.com/news/nation/opposition-meeting-in-patna-rahul-gandhi-and-kharge-can-play-the-role-of-big-brother-opposition-parties-also-say-we-are-together-6464795.html