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कर्ज से झुके थे कंधे, जैविक खेती कर बदली तकदीर, पढ़ें पद्मश्री किसान की कहानी

नितिन आंतिल/सोनीपत: कर्ज के बोझ तले दबे कंधों ने 16 साल की उम्र में जब हल उठाया था तब सोच खुद के साथ क्षेत्र के किसानों की तकदीर बदलने की थी. किसानों की दिशा और दशा बदलने के लिए 41 साल के लंबे संघर्ष के बाद अटेरना गांव निवासी कंवल सिंह चौहान की सोच और मेहनत को भारत सरकार ने देश के नागरिकों को मिलने वाले सबसे बड़े सम्मानों में से एक पद्मश्री से नवाजा.

धान में हुए नुकसान के बाद जैविक खेती अपनाकर अटेरना और मनौली क्षेत्र को बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न और मशरूम उत्पादन का हब बनाने वाले कंवल सिंह चौहान पूरे देश में उन 12 किसानों में शामिल हुए, जिन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. जिले के साथ-साथ पूरे प्रदेश के किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बने कंवल सिंह चौहान अपनी इस कामयाबी को एक छोटा सा पड़ाव मानते हैं. उनका लक्ष्य प्रदेश के हर जिले में प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करके किसानों की आय को दोगुना नहीं, पांच से छह गुना करना है, ताकि किसी किसान का सिर कर्ज के पहाड़ के सामने झुक न सके.

जैविक खेती से उगाया बेबी कॉर्न
सोनीपत के खिलाड़ी ही नहीं, किसान भी हरियाणा और देश का नाम रोशन कर रहे हैं. पिता की मौत के बाद परिवार का पेट पालने के लिए 1978 में पहली बार खेती करने उतरे कंवल सिंह चौहान शुरुआत में धान का ही उत्पादन करते थे, लेकिन 1985 में धान की खेती में आई बीमारी की वजह से कंवल सिंह को काफी नुकसान झेलना पड़ा. जिसके बाद उन्होंने खेत में बायोगैस प्लांट लगाकर जैविक खेती करनी शुरू कर दी. 1997 में पहली बार बेबी कॉर्न की खेती की और उसे बेचने के लिए फाइव स्टार होटलों के चक्कर काटे. कई जगहों पर बात न बनते देख कंवल सिंह पहली बार आजादपुर सब्जी मंडी में एक मशरूम की दुकान पर बेबीकॉर्न बेचने के लिए पहुंचे. इससे पहले आजादपुर में बेबीकॉर्न विदेश से ही पहुंचता था. यही नहीं कंवल सिंह चौहान ने अपनी पहचान एक प्रगतिशील किसान के रूप में बनानी शुरू कर दी.

कंवल से प्रेरित होकर संवरा किसानों ने जीवन
वर्ष 2000 तक अटेरना गांव के अधिकतर किसानों ने कंवल सिंह की तरह ही बेबी कॉर्न व स्वीट कॉर्न उगाना शुरू कर दिया. उत्पादन बढ़ने और बाजार की कमी ने एक बार फिर से कंवल सिंह के सामने परेशानी खड़ी कर दी थी, परन्तु कंवल सिंह चौहान ने खुद के साथ-साथ क्षेत्र के किसानों को आगे बढ़ाने के लिए फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का मन बनाया और सोसाइटी गठित करके एचएसआईआईडीसी में पहली यूनिट लगाई. मौजूदा समय में अटेरना, मनौली सहित दर्जनों गांवों के किसान कंवल सिंह चौहान के दिखाए रास्ते पर चलकर न सिर्फ खुद की आमदनी बढ़ा रहे हैं, बल्कि कई लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं. जिसको लेकर सरकार ने 2019 में उन्हें खेती के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया था.

कई बार हो चुका सम्मान
सबसे पहले कंवल चौहान को 2005 में उपायुक्त सोनीपत द्वारा देवीलाल किसान पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके बाद राजीव गांधी अवॉर्ड, एनजी रंगा अवार्ड, कृषि के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए प्रदेश स्तरीय अवार्ड कंवल सिंह को प्राप्त हो चुके हैं. गुजरात, हरियाणा के साथ-साथ पंजाब और दिल्ली स्थित पूसा द्वारा कंवल सिंह चौहान को कई बार सम्मानित किया गया है.

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FIRST PUBLISHED : June 08, 2023, 15:02 IST

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