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महिलाओं के लिए 30 % से अधिक आरक्षण नहीं: हाईकोर्ट ने CGPSC की मेरिट लिस्ट को चुनौती देने वाली याचिका की खारिज


छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
– फोटो : Social media

विस्तार

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने CGPSC 2014 की जारी मेरिट लिस्ट को चुनौती देते हुए लगाई गई याचिका को निरस्त कर दिया है। याचिका एक महिला अभ्यर्थी की ओर से लगाई गई थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, महिलाओं के लिए 30 फीसदी से अधिक आरक्षण की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने फैसले में वर्टिकल और होरिजेंटल आरक्षण के नियम को नए सिरे से स्पष्ट किया है। मामले की सुनवाई जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच में हुई। 

विज्ञापन में ओबीसी महिला का पद आरक्षित नहीं था

पीएससी ने वर्ष 2014 में राज्य प्रशासनिक सेवा के विभिन्न पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें डिप्टी कलेक्टर के 21 पद शामिल थे। 21 पदों में से 9 पद अनारक्षित, 2 पद एससी, 7 पद एसटी और 3 पद ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित थे। इसमें से महिला आरक्षण के तहत 2 पद अनारक्षित महिला और 2 पद एसटी वर्ग की महिला प्रतिभागी के लिए आरक्षित थे। विज्ञापन के अनुसार ओबीसी महिला के पद आरक्षित नहीं थे। 

10वीं रैंक पर अभ्यर्थी के चयन को दी चुनौती

चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद मेरिट में 10वें नंबर पर ओबीसी वर्ग के प्रतिभागी ओंकार यादव का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ। इसे पीएससी की मुख्य परीक्षा में शामिल रही हिमशिखा साहू ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। कहा कि ओबीसी महिला के लिए पद आरक्षित होने पर उनका चयन यादव की जगह होना था। प्रारंभिक सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला के पक्ष में अंतरिम आदेश दिया था। 

महिला का नाम मेरिट लिस्ट में ही नहीं था

इस बीच यादव ने जीएसटी डिपार्टमेंट में ज्वाइन कर लिया। वे वर्तमान में असिस्टेंट कमिश्नर हैं। मामले पर सुनवाई के दौरान बताया गया कि महिला मेरिट में 29वें नंबर पर थी। मेरिट लिस्ट में उनका नाम नहीं था। ऐसे में उन्हें याचिका दाखिल करने का भी अधिकार नहीं था। वहीं पीएससी की तरफ से जानकारी दी गई कि नियमों का पालन करते हुए मेरिट लिस्ट जारी की गई थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज करते हुए उनके पक्ष में जारी अंतरिम आदेश निरस्त कर दिया।

कोर्ट ने प्रतिवादी को सभी लाभ देने के आदेश दिए

कोर्ट ने प्रतिवादी अधिकारी की कोई गलती नहीं होने के कारण सीनियारिटी समेत अन्य लाभ देने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट और अन्य के फैसलों का हवाला देते हुए वर्टिकल, होरिजेंटल आरक्षण को स्पष्ट किया है। कहा है कि  वर्टिकल आरक्षण 50 फीसदी अनारक्षित और 50 फीसदी एससी, एसटी और ओबीसी के लिए है। एससी, एसटी और ओबीसी को वर्टिकल आरक्षण का लाभ दिया जाता है, और शारीरिक रूप से दिव्यांगों को होरिजेंटल आरक्षण का लाभ दिया जाता है।

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dp

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