जुगल कलाल/ डूंगरपुर. आदिवासी बहुल डूंगरपुर में किसान मौसम आधारित फसलों की खेती करते हैं. हालांकि, जब से बड़ी संख्या में युवाओं ने खेती-किसानी में दिलचस्पी दिखाई है. तब से इस क्षेत्र में कुछ आमूलचूल बदलाव आए हैं. बड़ी संख्या में किसानों ने कम लागत में बढ़िया मुनाफा पहुंचाने वाले फसलों की खेती की तरफ रूख किया है. डूंगरपुर ज़िले के सुरपुर गांव के धुवाड़िया के रहने वाले कोदर पटेल परंपरागत अनाज व सब्जियों की खेती से हटकर फूलों की खेती से बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं. उनकी तरह ही जिले में अन्य किसान भी फूलों की खेती कर रहे हैं.
प्रति महीने 45 हजार रुपये की आमदनी
कोदर पटेल ने पहली बार व्यवसायिक दृष्टिकोण से फूलों की खेती प्रारंभ किया था. तब 5 बीघा जमीन पर गेंदा फूल की पुषा नारंगी और अन्य तरह की फूलों की वैरिटी की खेती शुरू की. कोदर फूलों की खेती कर फूलों और फूलो से माला बनाने वाले व्यापारियों को बेचना शुरू किया. इसे उन्हें 45 हज़ार की आमदनी हुई. कोदर बताते है कि, 2 दिन में उनके खेतों से 100 किलो के आस पास फूल निकलते है. जो कि बाजार में 20 से 30 रूपये तक बिकता है. अगर बात करे किसान कोदर पटेल फूलों से आमदनी की तो सालाना 6 लाख के आस पास वो कमा लेते है.
कोदर पटेल बताते है कि, जब वो पारंपरिक खेती करते थे. तब उन्हें मेहनत के साथ लागत भी ज्यादा लगानी पड़ती थी और उसके बदले मुनाफा भी कम होता था. वहीं, फूलो की खेती में सिर्फ एक बार लगाने में मेहनत है. इसके खरीदार घर तक आते हैं और फूल लेकर चले जाते हैं. आगे कोदर पटेल बताते है कि, हमने पाया कि फूलों की खेती में कम लागत में कई गुना ज्यादा मुनाफा है. एक समय जब कोदार फूलों की खेती शुरू की तो दूसरे किसानों उनका मजाक बनाया आज वही किसान उनकी राह पर चल रहें है.
इन महीनों में होती है फूलों की खेती
गेंदे के फूल की खेती सीजन के हिसाब से की जाती है. गर्मी के सीजन के लिए जनवरी महीने में पौधे लगाए जाते हैं. जिनका नवरात्र के दिनों में पूजा पाठ में खूब इस्तेमाल होता है और बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है. इसके बाद अप्रैल मई और फिर सर्दी शुरू होने से पहले अगस्त-सितंबर में फूलों की बिजाई की जाती है.
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FIRST PUBLISHED : June 07, 2023, 23:54 IST