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पानीपत में प्रसिद्ध है चिमन लाल हलवाई की शॉप, अटल बिहारी वाजपेयी भी चख चुके इस दुकान की कचौरी का स्वाद

सुमित भारद्वाज/पानीपत. कचौरी तो आपने बहुत बार खाई होंगी लेकिन जिस कचौरी की हम बात कर रहे हैं उसकी बात ही कुछ और है. स्वाद ऐसा की एक बार खाकर बार-बार खाने का दिल करेगा. पेट भले भर जाए पर मन कभी नहीं भरेगा लेकिन इस कचौरी का स्वाद चखने के लिए आपको पानीपत आना होगा. यहां चिमन लाल कचौरी वाले के पास ही इस तरह की कचौरी मिलेगी जोकि बगैर लहसुन और प्याज के बनती है. यह कचौरी स्वादिष्ट इतनी है कि इसको खाने के बाद आप अपनी उंगलियां तक चाटते रह जाएंगे . इतना ही नहीं देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी औद्योगिक नगरी पानीपत के चिमन लाल की पूरी-छोले के दीवाने थे जब भी वे पानीपत आते थे तो वह पूरी-छोले का स्वाद ज़रुर चखते थे.

पानीपत के ऐतिहासिक किले के पास हलवाई हट्टे पर चिमन लाल हलवाई की दुकान है जोकि करीब 200 साल पुरानी है. यह दुकान सबसे पहले चिमन लाल के परदादा ने शुरु की थी और उसके बाद पीढ़ी दर पीढ़ी ये दुकान चल रही है. अब उनकी 9वीं पीढ़ी इस दुकान को चला रही है.9वीं पीढ़ी में शॉप चलाने वाला कोई अनपढ़ या कम पढ़ा लिखा नहीं बल्कि बी.कॉम पास है.

ऐतिहासिक किले के पास है दुकान
पानीपत के ऐतिहासिक किले पर पहले आरएसएस का दफ्तर हुआ करता था और जब भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी यहां बने संघ के दफ्तर पहुंचे थे तो चिमन लाल के पूरी छोले का नाश्ता किया करते थे. एक दिन तो वह चिमन पूरी छोले वाले की दुकान पर ही पहुंच गए थे और उस दिन के बाद से ही चिमन लाल कचौरी वाले की दुकान की किस्मत चमक उठी और ग्राहकों की भीड़ भी लगातार बढ़ने लगी.

मंच से अटल बिहारी ने किया था चिमन लाल की कचौरी का जिक्र
इससे जुड़ा एक और किस्सा बताते हैं.दरअसल जब अटल बिहारी बाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने तो 2001 में पानीपत की रिफाइनरी में एक कार्यक्रम में पहुंचे और कार्यक्रम में जब उन्होंने भाषण दिया तो तालियों की गड़गड़ाहट कम सुनाई दी तो उन्होंने कहा क्या चिमन लाल के पूरी छोले नहीं खा कर आए. कहते हैं जब रिफाइनरी में भाषण के दौरान भोजन की व्यवस्था की गई थी तो चिमन पूरी छोले वाले की दुकान से उनके लिए पूरी छोले मंगवाए गए थे.

अटल क्यों थे चिमन की पूरी के दीवाने?
कहते हैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी सात्विक भोजन के दीवाने थे और चिमन लाल पुरी वाला अपने भोजन में बिना लहसुन,प्याज की सब्जियां बनाता है और बिल्कुल घर के खाने की याद आ जाती है. यही कारण है कि अटल बिहारी बाजपेयी जब भी पानीपत आते थे तो चिमन के पूरी छोले का स्वाद ज़रुर चखते थे.

दुकान का हो गया है बंटवारा
आज किला के पास हलवाई हट्टे पर चिमन लाल कचौरी के नाम से दो दुकानें है जोकि उन्हीं के पोते चलाते हैं. दोनों ही दुकानों पर पहले जैसा ही स्वादिष्ट खाना मिलता है. एक शॉप तो बी.कॉम पास नितिन बंसल चलाते हैं. नितिन बंसल का कहना है कि अपने फैमिली बिज़नेस को ही आगे लेकर जाना चाहते हैं. उनकी दुकान को जो उनके दादा ने ब्रांड बनाया था वह उसी नाम को और ज्यादा चमकना चाहते हैं.

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FIRST PUBLISHED : June 07, 2023, 19:09 IST

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dp

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