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दिल्ली में कैसे आ गया कश्मीर से दरवाजा, जो इस इलाके का नाम पड़ गया ‘कश्मीरी गेट’

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली कई पर्यटकों की फेवरेट जगह है। यहां कुतुबमीनार, इंडिया गेट और लाल किला जैसी मशहूर इमारतें हैं, जहां लाखों लोग घूमने आते हैं। इन जगहों के अलावा भी दिल्ली में कई फेमस जगहें हैं, जो अपने नाम को लेकर चर्चा में रहती हैं। इन्हीं में से एक है दिल्ली का कश्मीरी गेट। कश्मीरी गेट इलाके में दिल्ली का बड़ा इंटर स्टेट बस स्टेशन और मेट्रो स्टेशन है। आप भी कभी न कभी यहां जरूर गए होंगे। लेकिन कभी सोचा है कि ये इलाका तो दिल्ली में है फिर इसका नाम कश्मीरी गेट क्यों पड़ गया। अगर आप सोचते हैं कि यहां कश्मीर से कोई दरवाजा लाकर लगाया गया होगा, तो ऐसा नहीं है। इस नाम के पीछे कुछ और ही कहानी है।

कैसे नाम पड़ा कश्मीरी गेट?

कोरा वेबसाइट पर कुछ यूजर ने कश्मीरी गेट के नाम के पीछे की कहानी बताई है। मंजू सिंह नाम की यूजर बताती हैं कि ये इलाका पुरानी दिल्ली में पड़ता है। इसे शहानाबाद भी कहा जाता है। कश्मीरी गेट दिल्ली में स्थित एक गेट है , यह दिल्ली की ऐतिहासिक दीवारों वाले शहर का उत्तरी द्वार है। मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा निर्मित इस गेट का नाम इसलिए रखा गया क्योंकि यह एक सड़क की शुरुआत में था जो कश्मीर की ओर जाती थी ।

स्वतंत्रता सेनानी और अंग्रेजों के बीच हुआ युद्ध

इस गेट का पुन:निर्माण सैन्य इंजीनियर राबर्ट स्मिथ ने 1835 में करवाया था। इसका नाम कश्मीरी गेट इसलिए पड़ा कि यह उस रास्ते का गलियारा था, जो कश्मीर की ओर जाता था। इसी गेट के पास स्वतंत्रता सेनानी और अंग्रेजों के बीच युद्ध हुआ था। पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन भी इसी गेट पर है, इसके आस पास का एरिया भी कश्मीरी गेट ही कहलाता है। इस गेट के आस पास व्यस्त बाजार है। अंग्रेजों ने इस गेट का निर्माण बाहरी अक्रमणों को रोकने के लिए किया था।

मुगलों से जुड़ा है इतिहास

एक अन्य यूजर संध्या कुमारी कहती हैं कि कश्मीरी गेट मुगल सम्राट शाहजहां की 17 वीं शताब्दी के मध्य की शाही राजधानी शाहजहानाबाद के मूल द्वार में से एक था। गेट का नाम इसलिए रखा गया क्योंकि यह उत्तर की ओर, कश्मीर की सड़क की ओर था। द्वार यमुना नदी के करीब स्थित था और इसके आसपास का क्षेत्र शाही परिवार और दरबारियों के सदस्यों द्वारा बनाए गए मनोरंजक उद्यानों और देश के घरों का एक स्थल बन गया। बादशाह अहमद शाह की मां कुदसिया बेगम ने कश्मीरी गेट के बाहर चारबाग मुगल बाग का निर्माण किया और बादशाह शाहजहां के सबसे बड़े पुत्र दारा शुकोह ने कश्मीरी गेट के अंदर ही अपना महल बनवाया। फक्र-उल-मस्जिद का निर्माण कनीज-ए-फातिमा ने अपने पति शुजात खान की याद में किया था, जो औरंगजेब के दरबार में एक रईस था।

1857 संग्राम में ब्रिटिश हमले का साक्ष्य

कश्मीरी गेट 1857 के संग्राम में ब्रिटिश हमले का साक्ष्य भी रहा था। अंग्रेजों के भारत से जाने के बाद यहां तेजी से उद्योग धन्धें और आबादी बसना शुरू हुई। कश्मीरी गेट इलाका दिल्ली का व्यापारिक और फैशन केन्द्र बना रहा। नई दिल्ली के निर्माण तक कश्मीरी गेट का दबदबा कायम रहा। 1965 में ट्रैफिक को सुगम बनाने के लिए कश्मीरी गेट का एक भाग ध्वस्त कर दिया गया। तभी से इसे एक संरक्षित स्मारक भी घोषित किया गया तथा भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग को सौंप दिया गया।

दिल्ली के सबसे व्यस्त इलाकों में से एक

अब ये इलाका दिल्ली के सबसे बिजी क्षेत्रों में से एक है। यहां एक बड़ा अंतरराज्यीय बस अड्डा है, जहां से देशभर के तमाम शहरों के लिए बसें मिल जाती हैं। इसके अलावा दिल्ली मेट्रो की सबसे ज्यादा लाइनों को मिलाने वाला स्टेशन भी यहीं है, जहां येलो, वॉयलेट और रेड लाइन मिलती हैं। दिल्ली चुनाव आयोग का कार्यालय भी इसी इलाके में है। दिल्ली के सबसे पुराने कॉलेजों में से एक सेंट स्टीफन्स भी यहीं था, हालांकि इसे बाद में यहां से शिफ्ट कर दिया गया। इस इलाके में आपको पुरानी दिल्ली की झलक देखने को मिल जाएगी।

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