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Opinion: समय से पहले बर्फ से ढके रास्ते खुलवा कर सीमा की सुरक्षा और लोगों के आने जाने को सुगम किया मोदी सरकार ने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन ही है कि चाहे देश के सीमा पर तैनात सिपाही हों, सीमा से सटे इलाकों में रह रहे लोग हों या देश के भीतरी इलाकों में बसी हुई आबादी, सभी की समस्‍याओं के समाधान के लिए केंद्र सरकार लगातार काम कर रही है. भारतीय सेना भी पीएम मोदी के प्रयासों से मजबूती हासिल कर रही है. केंद्र सरकार का बॉर्डर रोड आर्गनाइजेशन (बीआरओ) इसी दिशा में काम करते हुए नए-नए आयाम स्थापित कर रहा है. जिस तरह से बर्फ से ढके तीन पास यानि दर्रों को इस बार तय समय से पहले खोलकर रिकार्ड बनाया गया है, उससे भारतीय सेना का चीन और पाकिस्‍तान के बॉर्डर तक पहुंचना आसान हो गया है. और अगर वहां आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों की आवाजाही की बात करें तो उनकी बहुत बड़ी मुश्किल हल हो गई है. इन पास के खुलने से इन इलाके का संपर्क पूरे देश से जुड़ गया है जिससे यहां के निवासियों का जीवन मैदानी इलाकों में रहने वाले अन्‍य लोगों की तरह सामान्‍य हो गया है.

बॉर्डर के आसपास की कठिनाइयां किसी से छुपी नहीं हैं लेकिन मोदी सरकार इन कठिनाइयों को खत्‍म कर देश की सीमा पर डटे सैनिकों के लिए सुगम रास्‍ते बना रही है. बीआरओ बार्डर इलाकों की सड़कों का निर्माण करता है और उनकी देखभाल भी करता है. ये सड़कें इसलिए भी महत्‍वपूर्ण होती हैं, क्‍योंकि देश की सीमा तक पहुंचने के लिए सेना इन्‍हीं सड़कों का प्रयोग करती है. ये सड़कें ऊंचाई पर होती हैं, इसलिए सर्दियों में बर्फबारी के दौरान ये सड़कें बर्फ से पूरी तरह ढक जाती हैं. भारी मात्रा में बर्फ गिरने या कहें कि बर्फ में डूबने के चलते इन इलाकों का संपर्क देश के सड़क मार्ग से पूरी तरह कट जाता है. पूर्व में ये सड़कें चार-चार माह तक बंद रहती थीं लेकिन बीआरओ अब हर वर्ष इन सड़कों को तय समय से पहले खोलकर रिकार्ड बना रहा है.

इस वर्ष बनें ये रिकार्ड बताते हैं सरकार की उपलब्धि

. बर्फबारी के लिए मशहूर लेह-मनाली हाईवे को इस वर्ष 138 में 25 मार्च को खोल दिया गया है. बेहद ठंडे इस इलाके में पर्यटक भी आते हैं लेकिन ज्‍यादा बर्फ के चलते यह कई महीने बंद रहता है. इस बार पिछले वर्ष से एक दिन पहले इसे खोला गया है. गत वर्ष 26 मार्च को खोला गया था.
. वहीं श्रीनगर- जोजिला-लेह (एनएच 1डी) 16 मार्च को रिकार्ड 68 दिन में खोल दिया गया है. पिछले वर्ष ये पास 73 दिन में खोला गया था. ऐसे में इस बार 5 दिन पहले खोला गया है.
. निम्‍मू-पदुम-दारचा शिंकुला पास 23 मार्च को 55 दिन में खोल दिया गया. पिछले वर्ष यह 17 अप्रैल को खोला गया था. यह करीब एक महीने पहले ही खोल दिया गया है.

पूरे साल खुले रहे ये पास

इसके अलावा बीआरओ ने कई ऐसे पास को पूरे साल खोलकर रखा जो सामरिक और रणनीतिक रूप में भी देश के लिए महत्‍वपूर्ण हैं. इनमें खार्दुंग ला (17582 फुट), नामिकी ला (12139 फुट), फोटू ला (13478 फुट), सेला पास (13700 फुट), मनाली माकिन पास (10200 फुट), माना पास (18478 फुट), नाथूला पास (14250 फुट), साधना पास (10269 फुट), फारकिएन गली (9840 फुट), जमींदार गली (10334 फुट) और नीतिपास (11811 फुट) प्रमुख रूप से शामिल हैं. ऐसे अभी कई रिकॉर्ड मोदी सरकार के शासन में देखने को मिलेंगे.

(डिस्‍क्‍लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं) 

Tags: Border, Opinion, PM Modi

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