किसी भी युद्ध में कूटनीति और खुफिया तंत्र का बहुत अधिक महत्व होता है. द्वितीय विश्व युद्ध में खुफिया तंत्रों ने ही युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाई थी. तो क्या रूस यूक्रेन युद्ध में खुफिया तंत्रों की भी कोई भूमिका है या फिर यह केवल हथियारों से ही लड़ा जा रहा है जहां रूस जैसा ताकतवर देश यूक्रेन जैसे छोटे देश पर हावी होने की कोशिश कर रहा है, लेकिन पश्चिमी देश यूक्रेन की मदद कर इसे मुश्किल काम बना रहे हैं. यूके के प्रमुख थिंक टैंक का कहना है कि स्थिति जैसी दिख रही उसके विपरीत है. यूक्रेन में रूस की सुरक्षा और इंटेलिजेंस सेवाओं ने रूसी सेना की तुलना में कहीं ज्यादा सफलता हासिल की है.
पहले से चल रही थी तैयारी
रॉयल यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट (Rusi) की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि रूस की खुफिया एजेंसियां यूक्रेन में हमले की तैयारी जून 2021 से ही कर रही थीं जबकि वास्तविक हमला 24 फरवरी 2022 को किया गया था. बीबीसी के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि फेडरल सिक्यूरिटी सर्विस (FSB) ने यूक्रेन में कब्जाए इलाकों की आबादी में तेजी से हावी होने का सफलता से किया है.
कई स्रोतों से मिली हैं जानकारियां
बताया जा रहा है कि यह रिपोर्ट कई स्रोतों के आधार पर बनाई गई है जिसमें जप्त दस्तावेज भी शामिल किए गए थे. इसमें यूक्रेन इंटेलिजेंस अधिकारियों, बीच में पकड़े गए संचार और जमीनी शोध का भी योगदान था. शोधकर्ताओं का कहना है कि एफएसबी सरकार के कम्प्यूटर की हार्ड ड्राइव डाउनलोड करने में सक्षम हो गई थी जिससे वे कीव की ओर झुकाव रखने वाले लोगों और एजेंटों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर सके और पूछताछ कर सके.
मांगा गया था और समय
‘रूसी’ की रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन के कब्जाए हिस्सों को बाहरी दुनिया की मदद से काटने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वायफेयर यूनिट का उपयोग किया गया. वहीं रूसी विदेशी इंटेलिजेंस एसवीआर के प्रमुख ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से तैयार होने के लिए और समय की मांग की थी लेकिन पुतिन इस मांग को खारिज कर दिया और फरवरी में ही हमला कर दिया था.
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रूस यूक्रेन युद्ध में रूस का खुफिया तंत्र बहुत गहराई से सक्रिय बना हुआ है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
एक संदेश है यह रिपोर्ट
39 पेज की रिपोर्ट का शीर्षक प्रिलिमिनरी लेसन्स फ्रॉम रशियाज अनकन्वेश्नल ऑपरेशन ड्यूरिंग द रूसो यूक्रेनियन वॉर, फेब 2022-फेब 2023 है. इस रिपोर्ट को पश्चिमी देशों की सरकारों के लिए एक चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है कि रूस के गोपनीय ऑपरेशन किसी देश को किस हद तक अपने प्रभाव में ला सकते हैं.
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एक व्यापक खुफिया नेटवर्क
इस रिपोर्ट के मुख्य लेखक जैक वाटलिंग बताया कि हाल ही में एक वरिष्ठ जर्मन खुफिया अधिकारी को मॉस्को में बहुत ही वर्गीकृत जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. रिपोर्ट में बताया गया है कि यह साफ है कि रूस एजेंटो का एक बड़ा नेटवर्क बनाने में सफल हुआ है जो हमले के बाद भी कारगर बना हुआ है जिससे रूसी सेनाओं की लगातार जानकारियां मिल रही हैं. एफएसबी सोवियत संघ के समय की खुफिया एजेंसी केजीबी के बाद की खुफिया एजेंसी है.
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युद्ध में रूसी सेना को उम्मीद के मुताबिक उतनी सफलता नहीं मिली है जितना कि समझा जा रहा था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
यूक्रेन के लोगों को हतोत्साहित करना
जैसे जैसे रूसी सेना आगे बढ़ती जाएगी एफएसबी के अधिकारी स्थानीय सरकारी इमारतों से यूक्रेनी सरकार के दस्तावेजों पर कब्जा करते जाएंगे कम्प्यूटर हार्ड ड्राइव से डाउनलोड करते जाएंगे जिससे वे यूक्रेन के लिए काम करने वालों की सूची तैयार कर सकेंगे. वहां लोगों पर अत्याचार जानकारी हासिल करने के लिए नहीं बल्कि प्रतिरोध करने वाली जनता को हताश करने के लिए किया जा रहा है. रूस ने लगातार यूक्रेन में मानव अधिकारों के हनन के आरोपों का खंडन किया है.
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बताया जा रहा है कि अब तक करीब 800 यूक्रेनी अधिकारियों को, कुछ को उनकी मर्जी तो कुछ को जबरदस्ती से, एफएसबी ने अपनी तरफ करने में सफलता पा ली है. वहीं कब्जाए इलाकों से इंटरनेट, टीवी, रेडियो, आदि का संपर्क काट दिया गया है जिससे लोग बाकी दुनिया से कटे रहें. वाटलिंग बताते हैं कि उन्हें नियंत्रण हासिल करने के लिए केवल 8 फीसद आबादी को काबू में करना है. वहीं सेना को कई बार यूक्रेन से पीछे हटना पड़ा है. पहले पुतिन को सेना ने दर्शाया था कि यूक्रेन पर आसानी से कब्जा हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, सेना इस बारे में पूरी तरह से गलत साबित हुई. अब भी सेना को निश्चित सफलता नहीं मिल रही है.
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FIRST PUBLISHED : March 31, 2023, 12:59 IST