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Manish Sisodia arrest: आखिर केजरीवाल खुद क्यों नहीं रखते कोई मंत्रालय? अब किसे मिलेंगे सिसोदिया वाले विभाग?


Manish Sisodia arrest: Arvind Kejriwal with Manish Sisodia and Satyendra Jain
– फोटो : PTI (File Photo)

विस्तार

दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल आखिर अपने पास कोई मंत्रालय क्यों नहीं रखते हैं। जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को छोड़कर दिल्ली सरकार में छह मंत्री हैं। इन सभी छह मंत्रियों में 33 विभागों के कामकाज का बंटवारा है। इस बंटवारे में आधे से ज्यादा मंत्रालय तो सीबीआई की हिरासत में पहुंचे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पास हैं। अब सियासी गलियारों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास मंत्रालय न होने की चर्चा इसलिए भी सबसे ज्यादा हो रही है कि क्या 18 विभागों के मंत्री मनीष सिसोदिया की जगह पर अरविंद केजरीवाल कोई मंत्रालय संभालेंगे या नहीं। हालांकि अरविंद केजरीवाल के मंत्रालय ने संभालने पर भाजपा का अलग तर्क है। उनका कहना है कि जिम्मेदारी से बचने के डर से अरविंद केजरीवाल किसी भी विभाग मंत्रालय नहीं संभाल रहे हैं। वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नई सरकार में एक भी विभाग की जिम्मेदारी न संभालने वाले अरविंद केजरीवाल को फिलहाल इस कठिन परीक्षा में महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ सकती है।

केवल चार मंत्री हैं अरविंद केजरीवाल की कैबिनेट में

दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री और राज्य के आधे से ज्यादा विभागों के मंत्री का पदभार संभालने वाले मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से राज्य में सियासी संकट खड़ा हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में यह सियासी संकट इसलिए सबसे ज्यादा है क्योंकि मनीष सिसोदिया के पास राज्य के सबसे ज्यादा मंत्रालय आते हैं। इन मंत्रालयों का कामकाज कैसे होगा और राज्य पर उसका कितना असर पड़ेगा, इसका आकलन सियासत में किया जाने लगा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जब आम आदमी पार्टी के मंत्री सत्येंद्र जैन को जेल हुई, तो उनका मंत्रालय भी मनीष सिसोदिया को दे दिया गया। अब तो मनीष सिसोदिया भी सीबीआई की रिमांड पर हैं। ऐसे में उनके मंत्रालयों का जिम्मा अब किसके पास आएगा। चर्चा यही हो रही है बगैर पोर्टफोलियो वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब इन मंत्रालयों का जिम्मा संभालेंगे। एक बार फिर से सत्येंद्र जैन की तरह मनीष सिसोदिया के महकमों का भी बंटवारा अन्य मंत्रियों में होगा या किसी और विधायक को मंत्री बनाकर करेंगे।

दिल्ली सरकार में नियमतः सात मंत्री हो सकते हैं। इसमें एक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा छह मंत्रियों की कैबिनेट बनी हुई है। सत्येंद्र जैन को जेल होने के बाद महज पांच मंत्री अरविंद केजरीवाल की कैबिनेट में बचे थे। अब मनीष सिसोदिया की हिरासत से महज चार मंत्री ही अरविंद केजरीवाल की कैबिनेट में हैं। 33 विभागों वाली कैबिनेट में अट्ठारह महकमों का कामकाज मनीष सिसोदिया देखते थे। इसके अलावा कैलाश गहलोत के पास चार विभाग, राजकुमार के पास चार, गोपाल राय के पास दो और इमरान हुसैन के पास दो विभागों का पोर्टफोलियो है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि महज चार मंत्रियों से दिल्ली का पूरा कैबिनेट स्ट्रक्चर चलाना और संभालना न सिर्फ मुश्किल है, बल्कि चुनौतियों भरा भी है। सियासी जानकार एसएस पाराशर कहते हैं कि मनीष सिसोदिया के पास महत्वपूर्ण महकमों में दिल्ली के सभी विकास वाले विभागों से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और वित्त जैसे मंत्रालय हैं। ऐसे में बगैर किसी मंत्री के इन विभागों का काम चलना संभव नहीं लगता। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ऐसी विपरीत परिस्थितियों में या तो स्वयं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आगे आकर इनमें से कुछ मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालनी होगी और मंत्रालयों का बंटवारा करना होगा।

मनीष सिसोदिया के पास हैं 18 विभाग

अब मनीष सिसोदिया के 18 विभागों का बंटवारा कैसे होता है यह तो आम आदमी पार्टी ही तय करेगी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर महत्वपूर्ण विभागों को चार अन्य मंत्रियों के हिस्से में बांट दिया जाता है, तो व्यवस्था काम चलाने जैसी तो हो ही जाएगी। लेकिन बगैर पूर्णकालिक मंत्री के महत्वपूर्ण विभागों को चलाना मुश्किल ही होगा। अब दूसरा रास्ता अरविंद केजरीवाल के पास यह बचता है कि वह नए मंत्री बनाकर मनीष सिसोदिया के मंत्रालयों की जिम्मेदारी उनको दें। राजनीतिक विश्लेषक पाराशर कहते हैं कि सबसे चुनौती भरा काम यही है। अगर अरविंद केजरीवाल कोई और मंत्री बनाते हैं, तो सत्येंद्र जैन या मनीष सिसोदिया में से किसी एक मंत्री को मंत्रिपरिषद से निकालना होगा। क्योंकि नियमों के मुताबिक दिल्ली में मुख्यमंत्री समेत सात मंत्री ही हो सकते हैं। और इस वक्त जेल में बंद सत्येंद्र जैन और सीबीआई के रिमांड पर गए मनीष सिसोदिया समेत सभी छह मंत्री अरविंद केजरीवाल की कैबिनेट में हैं। चूंकि अरविंद केजरीवाल ने सत्येंद्र जैन के जेल होने के बाद भी उनको मंत्रिमंडल से नहीं हटाया था। ऐसे में मनीष सिसोदिया जो आम आदमी पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखते हैं, उनके सीबीआई हिरासत में जाने पर मंत्रिमंडल से हटाना नामुमकिन सा ही लगता है। दरअसल आम आदमी पार्टी लगातार मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को न सिर्फ अवैध बता रही है, बल्कि राजनैतिक करार देते हुए उनको सपोर्ट भी कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसी दशा में आम आदमी पार्टी मनीष सिसोदिया को मंत्रिमंडल से हटा दें, ऐसा नामुमकिन ही लग रहा है।

अब सियासत में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि अगर ऐसा नहीं होता है, तो क्या अरविंद केजरीवाल अपने पास सभी पद रखेंगे। इसे लेकर भाजपा सवाल उठा रही है। दिल्ली भाजपा युवा मोर्चा के प्रवक्ता मोहित शर्मा कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल ऐसा हरगिज़ नहीं कर सकते। इसके पीछे तर्क देते हुए मोहित कहते हैं कि क्योंकि अरविंद केजरीवाल जिम्मेदारियों से डरते हैं। इसके अलावा वह किसी भी तरीके की मुसीबत आने पर वह अपने साथियों के ऊपर जिम्मेदारी डालने का काम भी करते रहे हैं। मोहित कहते हैं कि वे डरते हैं अगर मंत्री रहते हुए किसी कागज पर दस्तखत कर दिए, तो वह उसमें कहीं फंस न जाएं। इसी डर की वजह से पूरे दिल्ली का विकास अरविंद केजरीवाल रोक रहे हैं। क्योंकि उनके एक मंत्री जेल में हैं, दूसरे सीबीआई की रिमांड पर है। दिल्ली का बजट आना है। वित्त मंत्री कोई है नहीं। हालांकि आप से जुड़े लोगों का कहना है कि अरविंद केजरीवाल पार्टी की नीतियों और पार्टी के विस्तार के लिए पूरे देश में लगातार सक्रिय रहते हैं। इस वजह से उनके पास किसी विभाग की जिम्मेदारी नहीं है।




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