सूत्रों ने कहा कि दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार रोधी शाखा की जांच में श्रम विभाग की तरफ से फर्जी और अज्ञात श्रमिकों को 900 करोड़ रुपये वितरित किए जाने के बारे में पता चला। एक सूत्र ने दावा किया, ‘दिल्ली भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड ने ऐसे श्रमिकों के रूप में कुल 17 लाख व्यक्तियों का पंजीकरण किया, जिनमें से 800 व्यक्तियों के पंजीकरण की जांच की गई। जांच में पता चला कि 800 में से 424 पंजीकरण फर्जी थे।’ उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में, बी.टेक और एम.कॉम की डिग्री हासिल कर चुके व्यक्तियों ने खुद को निर्माण श्रमिक के रूप में पंजीकृत करवाया और 15,000 रुपये तक की राशि हासिल की।
सूत्रों ने बताया कि इसी तरह कभी दिल्ली नहीं आए गोरखपुर, संत कबीर नगर, मुजफ्फरपुर, जौनपुर और बाड़मेर जिलों के सैकड़ों लोगों ने दिल्ली भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण कराकर वित्तीय लाभ हासिल किया। कंप्यूटर के जरिए पड़ताल करने के दौरान 424 पंजीकरण फर्जी पाए गए, जिनमें से 206 के मोबाइल नंबर और पते संदिग्ध थे। सूत्र ने कहा, ‘पंजीकरण प्रपत्रों के सत्यापन के बाद लाभार्थियों से संपर्क किया गया, जो अलग-अलग राज्यों, विभिन्न व्यवसायों और आर्थिक रूप से अच्छी पृष्ठभूमि के संबंध रखते थे।’ सूत्र ने आगे कहा कि अधिकतर पंजीकृत श्रमिकों का निर्माण कार्य से कोई लेना-देना नहीं था। बोर्ड के सदस्यों ने 22 सितंबर को कथित अनियमितताओं के सिलसिले में उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना को एक अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था। इसके बाद उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को जांच करके एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।