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भारत संग हमारे संबंधों में दखल न दें, सीमा विवाद पर चीन की अमेरिका को धमकी; पेंटागन का दावा

नई दिल्ली: अमेरिका और चीन के बीच जारी तनातनी और बढ़ने वाली है, क्योंकि पेंटागन ने दावा किया है कि चीन ने अमेरिका को भारत के साथ उसके संबंधों में दखल न देने की चेतावनी दी है. अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने कांग्रेस को सौंपी अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि चीन ने अमेरिकी अधिकारियों को भारत के साथ उसके संबंधों में दखलअंदाजी नहीं करने की चेतावनी दी है.

पेंटागन ने मंगलवार को पेश एक रिपोर्ट में कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के अपने टकराव के बीच चीनी अधिकारियों ने संकट की गंभीरता को कम करने की कोशिश की और जोर दिया कि चीन की मंशा सीमा पर स्थिरता कायम करना है और भारत के साथ उसके द्विपक्षीय संबंध के अन्य क्षेत्रों को गतिरोध से होने वाले नुकसान से बचाना है.

चीन की सैन्य निर्माण क्षमता पर कांग्रेस को दी गई अपनी हालिया रिपोर्ट में पेंटागन ने कहा, ‘चीनी गणराज्य (पीआरसी) तनाव कम करना चाहता है ताकि भारत अमेरिका के और करीब नहीं जाए. पीआरसी के अधिकारियों ने अमेरिकी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे भारत के साथ पीआरसी के संबंधों में हस्तक्षेप न करें.’

पेंटागन की रिपोर्ट: चीन की अगले 10 साल में हजार से ज्यादा परमाणु हथियार बनाने की प्लानिंग

पेंटागन ने कहा कि चीन-भारत सीमा पर एक खंड में 2021 के दौरान पीएलए ने सैन्य बलों की तैनाती को बनाए रखा और एलएसी के पास बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखा. रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देशों (चीन-भारत) के बीच वार्ता में न्यूनतम प्रगति हुई क्योंकि दोनों पक्ष सीमा पर कथित अपने-अपने स्थान से हटने का विरोध करते हैं.

दरअसल, मई 2020 की शुरुआत में चीनी और भारतीय सेना के जवानों की एलएसी से लगे कई जगहों पर भिड़ंत हुई. ऐसे कई मौके आए, जब कंटीले तारों में लिपटे चट्टानों, डंडों और क्लबों के साथ दोनों सेनाओं में झड़प हुई. भारत और चीन के बीच गतिरोध का परिणाम यह हुआ कि सीमा के दोनों ओर और अधिक बलों की तैनाती को गति दी. पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक, सभी देशों ने एक-दूसरे की सेना को वापस पीछे करने और गतिरोध से पहले की स्थिति में लौटने की मांग की, मगर न तो चीन और न ही भारत उन शर्तों पर सहमत हुए.

पेंटागन ने रिपोर्ट में आगे कहा, ‘पीआरसी ने भारतीय बुनियादी ढांचे के निर्माण पर गतिरोध को दोषी ठहराया, जिसे उसने पीआरसी क्षेत्र पर अतिक्रमण के रूप में माना, जबकि भारत ने चीन पर भारत के क्षेत्र में आक्रामक घुसपैठ शुरू करने का आरोप लगाया.’ 2020 की झड़प के बाद से चीनी सेना पीएलए ने लगातार जवानों की उपस्थिति बनाए रखी है और एलएसी के साथ बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 की गालवान घाटी की घटना पिछले 46 वर्षों में दोनों देशों के बीच सबसे घातक संघर्ष थी. पीआरसी अधिकारियों के अनुसार, 15 जून 2020 को गलवान घाटी में दोनों देशों के जवान पेट्रोलिंग के दौरान हिंसक रूप से भिड़ गए, जिसके परिणामस्वरूप लगभग बीस भारतीय सैनिक शहीद हो गए और चार पीएलए सैनिक मारे गए.

Tags: China india lac, India-China conflict, Pentagon

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