नई दिल्ली. ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के दिग्गज और टोयोटा किर्लोस्कर मोटर लिमिटेड के वाइस चेयरमैन विक्रम किर्लोस्कर का मंगलवार को निधन हो गया. इसी के साथ इस देश में एसयूवी का ट्रेंड लाने और उसे सक्सेसफुल करने वाले एक लंबे सफर को भी विराम मिल गया. टोयोटा का इंडिया में चेहरा माने जाने वाले विक्रम ने मंगलवार को बेंगलुरु में आखिरी सांस ली.
64 साल के विक्रम के लिए ये कहा जाए कि इंडिया में टोयोटा की कारों को लाने वाले वे थे तो गलत नहीं होगा. जिस दौरान एसयूवी के नाम पर केवल टाटा की सफारी और उससे पहले सिएरा सरीखी दो या तीन गाड़ियां बाजार में मौजूद थीं. ये कारें भी आम लोगों के लिए नहीं थीं. कुछ शौकीन लोग ही इन गाड़ियों को रखते थे. इसके पीछे बड़ा कारण इनकी मेंटेनेंस और महंगी रनिंग कॉस्ट थी. लेकिन विक्रम ने इस पूरे सिनेरियो को बदल दिया.
1999 में एमपीवी कम एसयूवी का नया दौर
1999 जब देश में बजट कारों का दौर था, लग्जरी कारों के ग्राहक भी बहुत कम थे, एसयूवी के तो न के बराबर. ऐसे में टोयोटा ने एक बॉक्सी डिजाइन में एमपीवी कम एसयूवी पेश की. ये थी क्वालिस. देश भर में अचानक टोयोटा के बड़े-बड़े शोरूम दिखने लगे. ये दौर था क्वालिस का. इसके बॉक्सी डिजाइन को देख पहले तो लोगों ने इसे नकार दिया. लेकिन जिसने इस गाड़ी को उस दौरान चलाया वो इसका फैन हो गया. ये एक स्टर्डी व्हीकल था और माइलेज व मेंटेनेंस में बेहतरीन. क्वालिस को लोगों ने पसंद करना शुरू किया. धीरे धीरे हाल ये हो गया कि क्वालिस देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली गाड़ियों में से एक हो गई. इसके पीछे विक्रम का बिजनेस आइडिया और मार्केटिंग स्ट्रेटेजी थी. विक्रम ने क्वालिस को फैमिली कार के तौर पर पेश किया और लोगों ने इसे उस तरह पसंद भी किया.
फिर आया इनोवा का दौर
क्वालिस बिक ही नहीं जबर्दस्त तरीके से बिक रही थी कि अचानक कंपनी ने इसका प्रोडक्शन बंद कर दिया और रातों रात शोरूम पर से क्वालिस कम होने लगी. इसके साथ 2005 में इनोवा ने बाजार में कदम रखा. अभी तक लोगों को एक एयरोडायनेमिक शेप के साथ 8 सीटर गाड़ी के डिजाइन की आदत या कहें देखी नहीं थी. इनोवा ने पहले एक साल तक सेल्स का फिगर ज्यादा नहीं पकड़ा लेकिन विक्रम ने हार नहीं मानी. क्वालिस को बंद करने के बाद आए वैक्यूम को भरने के लिए इनोवा को प्रमोट किया जाने लगा. एक इंप्रूव्ड इंजन, बॉडी लाइन और टेक्नीक से लैस इनोवा को लोगों ने पसंद करना शुरू किया. 2007 में इनोवा ने सेल्स के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और कंपनी ने 5 हजार यूनिट्स की सेल की.
अब हार्ड कोर एसयूवी
अब समय था देश को एक हार्ड कोर लेकिन कंफर्टेबल एसयूवी देने का. लेकिन कीमत ज्यादा होती. विक्रम ने इस पर भी हार नहीं मानी और फार्च्यूनर के तौर पर इस एसयूवी ने मार्केट में कदम रखा. बल्की डिजाइन, दमदार रोड प्रेजेंस और जबर्दस्त परफॉर्मेंस के साथ फॉर्च्यूनर ने 2009 में दस्तक दी और लोगों ने इस कार को हाथों हाथ लिया. ये सफर तब से अब तक जारी है और फार्च्यूनर की 4th जनरेशन का इंतजार किया जा रहा था लेकिन विक्रम इससे पहले ही चले गए.
टाटा के हैं समधी
विक्रम की बेटी मानसी की शादी रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा के बेटे नेविल टाटा के साथ हुई है. विक्रम और रतन टाटा समधी हैं. विक्रम सीआईआई और सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के प्रेसिडेंट भी रहे हैं. वे कभी भी सुर्खियों में रहना पसंद नहीं करते थे. पेज 3 पार्टीज और गेटटुगेदर शायद विक्रम के लिए थी ही नहीं और वे देश के दिग्गज इंडस्ट्रीयलिस्ट में गिने जाने के बाद भी इनसे दूर ही रहते थे.
गोल्फ और टेनिस के थे शौकीन
विक्रम गोल्फ और टेनिस के शौकीन थे. उन्हें अपने खाली समय में गोल्फ कोर्स में आसानी से देखा जा सकता था. साथ ही वे स्विमिंग के भी शौकीन थे. मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने चौथी पीढ़ी के तौर पर किर्लोस्कर की बागडोर संभाली थी.
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FIRST PUBLISHED : November 30, 2022, 11:29 IST
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