गुजरात के मोरबी शहर की मच्छु नदी में 43 साल बाद आज एक बार फिर मौत का तांडव देखा गया। इस घटना ने 1979 के उस खौफनाक और भयावह मंजर की यादें भी ताजा कर दीं है, जब यहां मच्छु बांध टूटने से हजारों लोगों और मवेशियों की जान चली गई थी।
दरअसल, रविवार शाम मच्छु नदी पर बना करीब 100 साल से अधिक पुराना केबल पुल (झूलता पुल) टूटने से अब तक कम से कम 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। मृतकों में बच्चे और महिलाएं अधिक अधिक बताए जा रहे हैं। इस पुल को मरम्मत के बाद हाल ही में जनता के लिए खोला गया था।
गुजरात : पुल पर थे 400-500 लोग, पांच दिन पहले ही दोबारा हुई थी शुरुआत
दिवाली की छुट्टी और रविवार होने के कारण प्रमुख पर्यटक आकर्षण पुल पर पर्यटकों की भीड़ उमड़ी हुई थी। एक निजी संचालक ने लगभग छह महीने तक पुल की मरम्मत का काम किया था। पुल को 26 अक्टूबर को गुजराती नववर्ष दिवस पर जनता के लिए फिर से खोला गया था।
करीब 43 साल पहले 11 अगस्त, 1979 को गुजरात में मच्छु बांध टूटने से एक बड़ा हादसा हुआ था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस हादसे में एक हजार लोग मारे गए थे। वहीं, गैर आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, यह बांध 25 हजार से ज्यादा लोगों की जिंदगियां लील गया था।
बताया जाता है कि मौत के आंकड़े में इतना बड़ा अंतर होने का एक कारण यह है कि उचित रिकॉर्ड या किसी भी शिनाख्त प्रक्रिया को पूरा करने से पहले बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए बड़ी सामूहिक कब्रों में डालकर जला दिया गया था।
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गौरतलब है कि मोरबी का यह केबल पुल करीब 100 साल पुराना बताया जा रहा है और कुछ दिन पहले ही इसकी मरम्मत कराई गई थी। मरम्मत के बाद 5 दिन पहले ही इसे आम जनता के लिए फिर से खोला गया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि जब पुल टूटकर गिरा तब उस पर कई महिलाएं, बच्चे और अन्य लोग थे।