बचावपक्ष के वकील मोहम्मद इरशाद ने अदालत से दरख्वास्त करते हुए कहा कि मुजरिम राजनीति से जुड़े हैं, उनके लिए बार-बार अदालत में पेश होना मुश्किल होगा। इसीलिए सजा के मुद्दे पर इसी दिन बहस सुन ली जाए। इस पर अभियोजन की ओर से कोई आपत्ति नहीं जताई गई। लिहाजा अदालत ने इसी दिन
सजा के मुद्दे पर पूरी बहस सुनी और आदेश के लिए शाम चार बजे का वक्त तय कर दिया। हालांकि, फैसले और सजा पर आदेश की कॉपी देर शाम तक भी उपलब्ध न हो सकी। बचावपक्ष के वकील ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अदालत ने दोषियों को चेतावनी देते हुए सजा दिए बिना माफ कर दिया, क्योंकि संबंधित घटना स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हुई थी।
अभियोजन के केस के मुताबिक, कुमार ने अन्य लोगों के साथ मिलकर कल्याणपुरी से कोंडली स्थित अपने दफ्तर तक तिरंगा लेकर मार्च किया। उस वक्त कोविड 19 प्रोटोकॉल के मद्देनजर किसी भी रैली के आयोजन की अनुमति नहीं दी जा रही थी। आपको बता दें कि अगर कोई शख्स लॉक डाउन या उसके दौरान सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है। इसमें दोषी को कम से कम एक महीने की जेल या 200 रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।