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तय थी अशोक गहलोत की ताजपोशी, फिर इस ट्विस्ट की वजह से हुई खड़गे की एंट्री

हाइलाइट्स

कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव दिलचस्प मोड़ पर
मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा
क्या खड़गे के अध्यक्ष बनने से और ज्यादा मजबूत होंगी सोनिया

नई दिल्ली. कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव सिर पर है. इसके लिए तीन नेताओं ने नामांकन भी दाखिल कर दिया है. इस नामांकन के बीच राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहे हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन दाखिल करने से सोनिया गांधी और मजबूत हुई हैं या राजस्थान अभी भी उनके लिए परीक्षा बना हुआ है. दरअसल, साल 2004 जब सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री चुना था, उस वक्त कई नेताओं को लगा था कि उनकी शक्ति पर ग्रहण लग गया. लेकिन, इस दौरान पार्टी को कई मामलों में मिली सफलता ने यह दिखाया कि कई लोग सोनिया गांधी के पीछे खड़े हैं.

जो नेता सोनिया गांधी के फैसले से खुश नहीं थे, उन्होंने मनमोहन सिंह को कमजोर करने का कोई मौका नहीं छोड़ा. उन्होंने यह भी जताया कि असली पावर सेंटर सोनिया गांधी ही हैं. अब जब सोनिया गांधी दूसरी बार पद का त्याग कर रही हैं तो मल्लिकार्जुन खड़गे को लेकर वह सवाल गूंज रहे हैं. लेकिन, इस बार यह सब तब हो रहा है जब सोनिया गांधी काफी कमजोर हैं. क्योंकिं, साल 2004 में सोनिया गांधी की पार्टी पर पकड़ जबरदस्त थी. वह बीजेपी जैसी मजबूत पार्टी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता को हराकर यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (UPA) का गठन करने में सफल रहीं.

इस बात से सोनिया को लगा धक्का
इस बार कांग्रेस केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही है. बड़े-बड़े नेता लगातार कांग्रेस छोड़कर जा रहे हैं. ये सिलसिला जारी है. इन हालातों में आम आदमी पार्टी कांग्रेस से आगे निकलती दिखाई दे रही है. इन सब के बीच सोनिया गांधी को सबसे ज्यादा धक्का अशोक गहलोत के विद्रोही साथियों से लगा. सोनिया ने तय कर लिया था कि अशोक गहलोत को वह पार्टी अध्यक्ष पद दे सकती हैं. उसके साथ ही यह भी तय हो गया था कि सचिन पायलट को सीएम पद का वादा भी पूरा हो जाएगा.

गांधी परिवार की दिखी कमजोरी
लेकिन, ये सारी योजना बर्बाद हो गई और गांधी परिवार को वो देखना पड़ा जिसका उन्होंने कभी नहीं सोचा था. इन घटनाओं से ये लगातार दिखाई दिया कि गांधी कमजोर हो गए हैं. पार्टी का कमजोर रिपोर्ट कार्ड और आपसी मतभेदों से गांधी शक्तिहीन दिखाई दिए. इसलिए संगठन के नेताओं ने फैसला किया कि यह समय विरोधियों पर हमला करने और गहलोत को सबक सिखाने का है.

Tags: Mallikarjun kharge, Sonia Gandhi

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