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Delhi News : दिल्ली में एक चौथाई रह जाएगा प्रदूषण, बच सकेंगे सालाना 311 करोड़


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– फोटो : PTI

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शायद आपको सुनकर हैरानी हो कि अगर दिल्ली में पेट्रोल, डीजल या फिर सीएनजी बसें बंद हो जाएं तो एक चौथाई प्रदूषण रह जाएगा और लोगों के 311 करोड़ से अधिक रुपये भी सालाना बचेंगे। पेट्रोल, डीजल और सीएनजी बसें बंद करने का मतलब इलेक्ट्रिक विकल्प स्वीकारने से है। 

जापान के क्यूशू विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सार्वजनिक यातायात व्यवस्था को लेकर एक अध्ययन किया है जिसमें दावा किया गया है कि अगर दिल्ली में पेट्रोल, डीजल या सीएनजी बसों को इलेक्ट्रिक मॉडल में तब्दील कर दिया जाए तो दिल्ली के वायु प्रदूषण में 75 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है। 

शोधार्थी तवूस हसन भाटा और हुमन फरजानेह ने अध्ययन में बताया कि अगर ऐसा होता है तो सालाना दिल्ली वालों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण की वजह से जो आर्थिक मार पड़ती है, उसमें 311 करोड़ से भी अधिक रुपये की बचत हो पाएगी। दिल्ली सरकार के डीटीसी और क्लस्टर के बेड़े में कुल सात हजार बसें हैं जिनमें अधिकांश सीएनजी चालित हैं। हाल ही में 250 इलेक्ट्रिक बसें बीते अप्रैल माह से अभी तक शामिल हुई हैं।

पीएम 2.5 के उत्सर्जन में भारी कमी आएगी
मेडिकल जर्नल साइंस डायरेक्ट में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में बैटरी इलेक्ट्रिक बसों (बीईबी) से सह लाभों का आकलन करने के लिए एक एकीकृत मॉडल विकसित किया गया है। इस मॉडल की मदद से दिल्ली के प्रदूषण में 74.67 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। साथ ही, सभी बसों को इलेक्ट्रिक मोड में लाने से पीएम 2.5 के उत्सर्जन में भारी कमी आएगी और वार्षिक स्तर पर मृत्यु दर एवं श्वसन रोगों के प्रसार इत्यादि में भी गिरावट दर्ज की जाएगी। 

1370 जिंदगियां हर साल बचेंगी 
अध्ययन में बताया कि बीईबी मॉडल पर काम करने से दिल्ली में हर साल 1370 जिंदगियां बचाई जा सकेगी और एक लाख की आबादी पर करीब 2808 भर्ती रोगियों को अस्पताल में दाखिला से बचाया जा सकेगा। इसके अलावा, पीएम 2.5 का उत्सर्जन हर साल 44 टन तक कम किया जा सकेगा, जो वर्तमान में सालाना करीब 59.49 टन है। 

विस्तार

शायद आपको सुनकर हैरानी हो कि अगर दिल्ली में पेट्रोल, डीजल या फिर सीएनजी बसें बंद हो जाएं तो एक चौथाई प्रदूषण रह जाएगा और लोगों के 311 करोड़ से अधिक रुपये भी सालाना बचेंगे। पेट्रोल, डीजल और सीएनजी बसें बंद करने का मतलब इलेक्ट्रिक विकल्प स्वीकारने से है। 

जापान के क्यूशू विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सार्वजनिक यातायात व्यवस्था को लेकर एक अध्ययन किया है जिसमें दावा किया गया है कि अगर दिल्ली में पेट्रोल, डीजल या सीएनजी बसों को इलेक्ट्रिक मॉडल में तब्दील कर दिया जाए तो दिल्ली के वायु प्रदूषण में 75 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है। 

शोधार्थी तवूस हसन भाटा और हुमन फरजानेह ने अध्ययन में बताया कि अगर ऐसा होता है तो सालाना दिल्ली वालों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण की वजह से जो आर्थिक मार पड़ती है, उसमें 311 करोड़ से भी अधिक रुपये की बचत हो पाएगी। दिल्ली सरकार के डीटीसी और क्लस्टर के बेड़े में कुल सात हजार बसें हैं जिनमें अधिकांश सीएनजी चालित हैं। हाल ही में 250 इलेक्ट्रिक बसें बीते अप्रैल माह से अभी तक शामिल हुई हैं।

पीएम 2.5 के उत्सर्जन में भारी कमी आएगी

मेडिकल जर्नल साइंस डायरेक्ट में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में बैटरी इलेक्ट्रिक बसों (बीईबी) से सह लाभों का आकलन करने के लिए एक एकीकृत मॉडल विकसित किया गया है। इस मॉडल की मदद से दिल्ली के प्रदूषण में 74.67 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। साथ ही, सभी बसों को इलेक्ट्रिक मोड में लाने से पीएम 2.5 के उत्सर्जन में भारी कमी आएगी और वार्षिक स्तर पर मृत्यु दर एवं श्वसन रोगों के प्रसार इत्यादि में भी गिरावट दर्ज की जाएगी। 

1370 जिंदगियां हर साल बचेंगी 

अध्ययन में बताया कि बीईबी मॉडल पर काम करने से दिल्ली में हर साल 1370 जिंदगियां बचाई जा सकेगी और एक लाख की आबादी पर करीब 2808 भर्ती रोगियों को अस्पताल में दाखिला से बचाया जा सकेगा। इसके अलावा, पीएम 2.5 का उत्सर्जन हर साल 44 टन तक कम किया जा सकेगा, जो वर्तमान में सालाना करीब 59.49 टन है। 

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