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NCRB 2021: एसिड अटैक, गैंगरेप, साइबर क्राइम, बच्चों का यौनशोषण… दिल्ली में हर क्राइम का ग्राफ ऊपर, डरा रहे हैं ये आंकड़े

नई दिल्लीः नैशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) ने सोमवार को देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की क्राइम रिपोर्ट जारी की है। दिल्ली में 2020 की तुलना में 2021 में साइबर क्राइम ने सबसे तेज उछाल मारी है। महिला अपराध, अपहरण, बच्चों और बुजुर्गों पर होने वाले जुर्म के ग्राफ में बढ़ोतरी भी चौंकाने वाली है। ये जरूर है कि मर्डर के मामलों में मामूली गिरावट आई है। एनसीआरबी का अनुमान है कि 2021 में दिल्ली की जनसंख्या 1 करोड़ 63 लाख 15 हजार रही। टीम एनबीटी ने राजधानी को लेकर जारी अलग-अलग अपराधों के आंकड़ों का किया विश्लेषणः

​देश में हत्या का ग्राफ मामूली चढ़ा तो दिल्ली में गिरा

देशभर में हत्या के केसों में मामूली 0.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली में मर्डर के केसों में 2 प्रतिशत गिरावट आई है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी में 2021 के दौरान प्रॉपर्टी और पारिवारिक विवाद में सबसे ज्यादा मर्डर हुए। हत्या के केसों में लव अफेयर, अवैध रिश्ते, आपसी रंजिश और लालच मुख्य वजह रही। किसी भी तरह के अंधविश्वास या धर्म या जाति को लेकर हत्या का मामला दिल्ली में सामने नहीं आया।

देखें दिल्ली का क्राइम ग्राफ

दिल्ली में आईपीसी के तहत 2020 की तुलना में 2021 में 17 फीसदी ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए हैं। ओवरऑल मुकदमों में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी आई है। अपहरण के केसों में भी उछाल आया है, जो 2020 में 4062 थे और 2021 में 5527 को छू गए। बुजुर्गों के खिलाफ होने वाले अपराधों में भी काफी इजाफा हुआ है। सीनियर सिटिजन के खिलाफ अपराध 2020 में 919 दर्ज हुए थे, जो 2021 में 1167 पहुंच गए। इनमें 2021 के दौरान चोरी के सबसे ज्यादा 659 केस हुए। ठगी के 153, लूट के 28 और 17 हत्या के मामले सामने आए। इसी तरह से आर्थिक अपराध शाखा के तहत 2020 में जहां 4524 केस दर्ज हुए थे, वो 2021 में बढ़कर 5143 तक पहुंच गए।

एसिड अटैक के मामले में तीसरे और गैंगरेप में 7वें नंबर पर राजधानी

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एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में महिलाओं पर एसिड अटैक के मामलों में दिल्ली तीसरे नंबर पर रही। जबकि सामूहिक बलात्कार की वारदात के दिल्ली में 64 मामले सामने आए। दिल्ली में बलात्कार की 1251 वारदात हुईं। इनमें सबसे अधिक 905 वारदात 18 से 30 साल की उम्र वाली महिलाओं के साथ हुई। जबकि 30 से 45 साल की उम्र वाली महिलाओं के साथ 328, 45 से 60 की उम्र वाली महिलाओं के खिलाफ 17 मामले और एक वारदात 60 साल से अधिक की उम्र की महिला के साथ भी घटित हुई। इन तमाम वारदात में महिलाओं का भरोसा इनके जानकारों ने ही तोड़ा। बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की सबसे अधिक वारदात ऐसे ही 1224 लोगों ने अंजाम दी। दोस्तों ने भी महिलाओं का भरोसा तोड़ा। 623 दोस्त और महिलाओं से ऑनलाइन दोस्ती करने वाले, पड़ोसी और एंप्लायर ने भी महिलाओं के खिलाफ इस तरह की काफी वारदात को अंजाम दिया। इस तरह के 490 लोग पकड़े गए। जबकि 111 फैमिली मेंबर्स भी इन वारदात में शामिल रहे। 26 मामले ऐसे सामने आए, जिनमें आरोपी अज्ञात थे। पॉक्सो मामले में भी 1374 वारदात हुईं। इनमें एक बच्चे को पॉर्नोग्राफी के लिए इस्तेमाल करने पर भी मामला दर्ज किया गया।

देश में पिछले साल गृहणियों ने की सबसे ज्यादा आत्महत्या

देश में सबसे ज्यादा गृहणियों में खुदकुशी की घटनाएं देखने को मिली हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में कुल 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की। इसमें से 1,18,979 लोग पुरुष थे बाकी महिलाएं थीं। गृहणियों के बाद सबसे ज्यादा खुदकुशी करने वालों की संख्या में दूसरे नंबर पर छात्राएं थीं। इनकी संख्या 5693 और दैनिक वेतन भोगी आत्महत्या करने वाली 4246 थीं। गृहणियों की बात की जाए तो तमिलनाडु में सबसे ज्यादा महिलाओं ने आत्महत्या की। इनकी संख्या 3221 थी, मध्य प्रदेश में 3055 और महाराष्ट्र में 2861 गृहणियों के आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए। 2021 के दौरान विधवा 2485, तलाकशुदा 788 जीवनसाथी से अलग रहने पर आत्महत्या के 871 मामले दर्ज किए गए। महिलाओं में आत्महत्या का अनुपात भी पिछले सालों के मुकाबले ज्यादा है। जहां तक गृहणियों में आत्महत्या के कारणों का पता लगाया जाए तो रिपोर्ट के मुताबिक विवाह संबंधी मुद्दों में दहेज के मामले, नपुंसकता, और बांझपन के कारण ज्यादा थे। रिपोर्ट के मुताबिक, 18-30 साल से कम आयु वर्ग और 30-45 साल से कम आयु के व्यक्ति आत्महत्या करने वाले सबसे संवेदनशील समूह में शामिल हैं। एनसीआरबी के मुताबिक, 18 साल से कम आयु वर्ग के बच्चों में आत्महत्या के मुख्य कारण में पारिवारिक समस्याओं के 3,233 मामले, प्रेम संबंध 1,495 और बीमारी के कारण 1,408 आदि शामिल हैं। वहीं कुल 28 ट्रांसजेंडर ने भी 2021 में आत्महत्या की।

अपराध के दलदल में धंसता बचपन, बच्चों के खिलाफ क्राइम भी बढ़ा

बच्चों के साथ होने वाले अपराध में करीब 32 प्रतिशत का इजाफा हुआ। रिपोर्ट के अनुसार 2020 में नाबालिगों पर 2455 अपराध दर्ज हुए, वहीं 2021 में इनकी संख्या बढ़कर 2643 हो गई। पिछले साल नाबालिगों पर 78 हत्या और 154 हत्या के प्रयास के मामले दर्ज हैं। इसके अलावा नाबालिगों पर 227 चोट पहुंचाने, 1075 चोरी, 99 सेंधमारी और 338 लूट के मामले भी दर्ज हैं। इतना ही नहीं 69 रेप के मामलों में भी नाबालिग आरोपी हैं, 103 मामले महिला से छेड़खानी और 109 मामले नाबालिगों पर पोक्सो के भी दर्ज हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार राजधानी इस मामले में पहले स्थान पर है। इसके बाद चेन्नै और अहमदाबाद का नंबर आता है। वहीं यदि बच्चों के प्रति अपराध की बात करें तो 2020 में 5362 बच्चे अपराधियों का शिकार बने तो वहीं 2021 में यह संख्या बढ़कर 7118 हो गई। 27 मामलों में 29 बच्चों की हत्या कर दी गई, 5053 अपहरण के मामलों में 5353 बच्चों का अपहरण हुआ। 65 ह्युमैन ट्रैफिकिंग के मामलों में 389 बच्चों की ट्रैफिकिंग हुई।

साइबर क्राइम पिछले साल की तुलना में 111 फीसदी बढ़ा

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आंकड़े बताते हैं कि कोरोना महामारी के बाद से साइबर क्राइम में जबर्दस्त उछाल आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में 2021 में साइबर क्राइम पिछले साल की तुलना में 111 फीसदी बढ़ा है। इनमें सेक्सटॉर्शन और ऑनलाइन चीटिंग के केस ज्यादा हैं। खास बात यह कि इसके शिकार होने वालें में हर उम्र के लोग हैं। लेकिन सबसे ज्यादा 12-17 साल की उम्र की नाबालिग और महिलाएं थीं। रिपोर्ट में दावा किया है कि साल 2021 में साइबर क्राइम के 356 मामले दर्ज किए गए। हालांकि एनसीआरबी के आंकड़े दिल्ली पुलिस के आंकड़ों से मेल नहीं खा रहे। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों में पिछले साल 2021 में कुल 1,15,013 शिकायतें साइबर ठगी से जुड़ी हुई थीं। इस तरह से औसतन 315 शिकायतें पुलिस को प्रतिदिन मिलीं। इनमें 24,219 शिकायतें फाइनैंस से जुड़ी थीं। साइबर क्राइम यूनिट ने पिछले साल साइबर अपराध के करीब 55.49 करोड़ रुपये अलग-अलग बैंक खातों में फ्रीज कर दिए। इनमें दिल्ली में ठगी के 4.31 करोड़ और दूसरे राज्यों के बैंक खातों में करीब 51.18 करोड़ रुपये थे। 291 लोगों को गिरफ्तार किया। 583 बैंक खाते ब्लॉक किए गए।

​सबसे ज्यादा जानलेवा सड़क हादसे भी दिल्ली में

ताजा रिपोर्ट दिल्ली के लिए एक राहत भरी खबर भी लेकर आई है। दुर्घटना में होने वाली मौतों की रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में 2020 के मुकाबले 2021 के दौरान सड़क हादसों में होने वोली मौतों में 22.6 प्रतिशत की कमी आई है। इस मामले में राजधानी ने दूसरे सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। दूसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ है, जहां जानलेवा हादसों में 12.6 पर्सेंट की कमी आई है, जबकि तीसरे नंबर पर असम रहा, जहां पिछले साल जानलेवा हादसे 7.9 फीसदी कम हुए। ऐसी सड़क दुर्घटनाएं, जिनमें किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है, दिल्ली में ऐसी दुर्घटनाओं की दर 15.4 फीसदी है। इस मामले में देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच दिल्ली तीसवें स्थान पर रही।

10 लाख से अधिक आबादी वाले देश के 53 शहरों को ‘मेगा सिटी’ की श्रेणी में रखते हुए उनका अलग से आंकलन किया गया है। इसमें पता चला है कि इन शहरों में एक्सिडेंट्स के 97.4 प्रतिशत मामले सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े हुए थे। इन 53 शहरों में एक्सिडेंट्स के जो 55,442 कुल मामले सामेन आए थे, उनमें पहले नंबर पर चैन्नै है, जहां 5034 एक्सिडेंट्स हुए थे, वहीं दूसरा नंबर दिल्ली का है, जहां कुल 4,505 एक्सिडेंट्स हुए। तीसरा नंबर बैंगलुरु का रहा, जहां 3,213 एक्सिडेंट्स हुए। हालांकि, इन सबमें सबसे ज्यादा जानलेवा सड़क हादसे दिल्ली में हुए, जहां सड़कों पर 1172 लोगों को रोड एक्सिडेंट्स में अपनी जानें गंवानी पड़ी। दूसरे नंबर पर चैन्नै रहा, जहां सड़क हादसों में 998 लोग मारे गए।

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