जानकारी के अनुसार 55 साल की कृष्णा देवी अपने पति के साथ सब्जी की दुकान चलाती थीं। हेल्दी और एक्टिव रहने वाली कृष्णा देवी रोज सुबह वॉक पर जाती थीं। 27 अगस्त को भी वे वॉक पर गई थीं, जहां पर वे बेहोश पाई गईं। उन्हें गंभीर हेड इंजरी हुई थी। उन्हें ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया। यहां पर डॉक्टर ने एक सर्जरी भी की, लेकिन महिला ब्रेन डेथ हो गईं। इसके बाद परिजनों ने यह साहसिक कदम उठाया और चार लोगों को नई जिंदगी मिल सकी।
एम्स ट्रॉमा सेंटर के चीफ डॉक्टर राजेश मल्होत्रा ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में ही ट्रॉमा सेंटर में 11 अंगदान हुए हैं। निश्चित रूप से लोगों का माइंडसेट बदला है। खासकर कोरोना के बाद से लोगों ने मौत को करीब से देखा और जीवन बचाने के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास किया है, उसकी वजह से लोग अंगदान के लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पूरे देश में रोड एक्सिडेंट से डेढ़ लाख लोगों की जान चली गई, उस कमी को तो पूरा नहीं किया जा सकता है, लेकिन अगर इन सभी का अंगदान हुआ होता तो कम से कम 3 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती थी। जो राष्ट्रीय नुकसान हुआ, उसके लिए सोचने की जरूरत है। इसके लिए धर्म गुरु, एक्टर, खिलाड़ी को लगातार अंगदान के बारे में बार बार संदेश देने की जरूरत है। ट्रॉमा सेंटर में अंगदान प्रोग्राम की अगुवाई कर रहे न्यूरोसर्जन डॉक्टर दीपक गुप्ता ने कहा केवल 4 महीने में 11 अंगदान बड़ी बात है। मीडिया का रोल अहम है, जो परिवार सामने आ रहे हैं, उनकी हिम्मत व आदर्श चरित्र का यह उदाहरण है, जिससे देश के हर नागरिक को सीखने की जरूरत है।
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