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Organ Donation: पहले मां और अब सास के अंगदान किए, 4 लोगों को मिली नई जिंदगी

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली: ‘मैंने अपनी मां का अंगदान किया है, इसकी अहमियत मैं जानता हूं। मेरी मां का लखनऊ में एक्सिडेंट हो गया था। बड़ा बेटा होने की वजह से मैंने सबको अंगदान के बारे में बताया और इसके लिए तैयार किया। मुझे खुशी हो रही थी कि मेरे फैसले से किसी की जान बच पाई। आज कई साल बाद फिर वही स्थिति बनी और मैंने अपनी सास को खो दिया। मैंने इसके बारे में परिवार के सभी सदस्यों को समझाया। हमने परिवार के सबसे मजबूत स्तंभ को खो दिया लेकिन उनके अंगों से किसी की मां, किसी की बहन और किसी के बेटे की जान बच जाएगी।’ बेहद दुख वाले हालात में भी ये हिम्मत वाले शब्द 55 साल की कृष्णा देवी के दामाद के हैं, जिनकी ब्रेन डेथ के बाद उनके दामाद अंगदान के लिए न केवल सामने आए बल्कि परिवार को भी इसके लिए तैयार किया। उनके इस फैसले से चार लोगों को नई जिंदगी मिली।

एम्स के ऑर्गन रीट्रिवल बैकिंग ऑर्गेनाइजेशन (ORBO) की हेड डॉ. आरती विज ने बताया कि महिला के अंगदान से 4 लोगों को नई जिंदगी मिली है। नैशनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गेनाइजेशन (नोट्टो) ने महिला का हार्ट फोर्टिस अस्पताल के एक मरीज को अलोट किया, जबकि लिवर आईएलबीएस के एक मरीज में ट्रांसप्लांट किया गया। एक किडनी एम्स में और और दूसरी आर्मी हॉस्टिपल के मरीज में ट्रांसप्लांट की गई। उन्होंने कहा कि अंगदान के लिए एम्स की टीम लगातार लोगों को जागरूक कर रही है और पहले की तुलना में लोग इसे गंभीरता से लेने लगे हैं।

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जानकारी के अनुसार 55 साल की कृष्णा देवी अपने पति के साथ सब्जी की दुकान चलाती थीं। हेल्दी और एक्टिव रहने वाली कृष्णा देवी रोज सुबह वॉक पर जाती थीं। 27 अगस्त को भी वे वॉक पर गई थीं, जहां पर वे बेहोश पाई गईं। उन्हें गंभीर हेड इंजरी हुई थी। उन्हें ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया। यहां पर डॉक्टर ने एक सर्जरी भी की, लेकिन महिला ब्रेन डेथ हो गईं। इसके बाद परिजनों ने यह साहसिक कदम उठाया और चार लोगों को नई जिंदगी मिल सकी।

एम्स ट्रॉमा सेंटर के चीफ डॉक्टर राजेश मल्होत्रा ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में ही ट्रॉमा सेंटर में 11 अंगदान हुए हैं। निश्चित रूप से लोगों का माइंडसेट बदला है। खासकर कोरोना के बाद से लोगों ने मौत को करीब से देखा और जीवन बचाने के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास किया है, उसकी वजह से लोग अंगदान के लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पूरे देश में रोड एक्सिडेंट से डेढ़ लाख लोगों की जान चली गई, उस कमी को तो पूरा नहीं किया जा सकता है, लेकिन अगर इन सभी का अंगदान हुआ होता तो कम से कम 3 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती थी। जो राष्ट्रीय नुकसान हुआ, उसके लिए सोचने की जरूरत है। इसके लिए धर्म गुरु, एक्टर, खिलाड़ी को लगातार अंगदान के बारे में बार बार संदेश देने की जरूरत है। ट्रॉमा सेंटर में अंगदान प्रोग्राम की अगुवाई कर रहे न्यूरोसर्जन डॉक्टर दीपक गुप्ता ने कहा केवल 4 महीने में 11 अंगदान बड़ी बात है। मीडिया का रोल अहम है, जो परिवार सामने आ रहे हैं, उनकी हिम्मत व आदर्श चरित्र का यह उदाहरण है, जिससे देश के हर नागरिक को सीखने की जरूरत है।

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