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आम आदमी दो मिनट में एक ट्रेन की टिकट बुक कर पाता है, लेकिन दलालों का लगता है कुछ सेकेंड, जानें पूरा खेल

नई दिल्‍ली. आम आदमी को भारतीय रेलवे (Indian Railways) का टिकट (train Tickets) बुक करने में औसतन दो मिनट का समय लगता है. कई बार इससे से ज्‍यादा समय लग जाता है, ऐसे में संबंधित ट्रेन की सभी कंफर्म टिकट बुक हो चुकी होती हैं और उसे वेटिंग टिकट मिलती है, लेकिन वहीं दलाल (touts) कुछ सेकेंड में सारी कंफर्म टिकट चुरा लेता है. हाल ही में आरपीएफ (RPF) द्वारा पकड़े गए दलालों और साफ्टवेयर डेवलपरों ने इसका खुलासा किया. आइए जानें पूरा खेल.

आम व्‍यक्ति जब निर्धारित समय में आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर जाकर टिकट बुक कराना चाहता है तो यूजर आईडी और पासवर्ड डालने के बाद लॉगिन कैप्‍चा डालना होता है, इसके बाद यात्रियों की डिटेल भरते हैं. एक यूजर आईडी से एक से लेकर छह यात्रियों की टिकट बुक हो सकती है. इसे सबमिट करने के लिए भी एक कैप्‍चा भरना होता है. पेमेंट करने के लिए आपके मोबाइल में ओटीपी आता है, उसे डालने के बाद पेमेंट होता है और तब जाकर टिकट मिल पाता है. इसमें औसतन 2 मिनट का समय लग जाता है.

दलाल इसलिए सेकेंड में चुरा लेते हैं टिकट

दलाल इसके लिए साफ्टवेयर का इस्‍तेमाल करते हैं. इस साफ्टवेयर की मदद से दोनों कैप्‍चा भरने की जरूरत नहीं पड़ती है, साफ्टवेयर इसे बायपास करा देता है. वहीं, पेमेंट के लिए भी ओटीपी की जरूरत नहीं होती है, सीधा पेमेंट हो जाता है. इस तरह कुछ सेकेंड में दलाल कंफर्म टिकट बुक करा लेते हैं.

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आम लोगों को इस वजह से नहीं मिल पाती थी कंफर्म टिकट.

दलाल एक आईडी से 144 यात्रियों का टिकट बुक करा रहा था

एक आईडी से छह यात्रियों का टिकट बुक हो सकती है. यानी बुकिंग की कतार में वर्चुअल छह लोग लगा सकते हैं, जबकि दलाल एक आईडी से 144 लोगों की टिकट बुक करा सकता था. इस वजह से आम लोगों को टिकट नहीं मिलते हैं, पहला तो कुछ सेकेंड में टिकट बुक होता है और दूसरा 144 लोगों का टिकट एक साल बुक कराता है. इतना ही नहीं साफ्टवेयर की मदद से 144 यात्रियों की डिटेल पहले से तैयार रहती थी, जिसे निर्धारित समय होते ही एड कर दिया जाता है. इस तरह डिटेल भरने में लगने वाला समय भी बच जाता है.

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रूस से डेवलप कराया गया था साफ्टवेयर 

आरपीएफ के अनुसार पकड़े गए दलालों और साफ्टवेयर डेवलपर ने बताया कि इस तरह के साफ्टवेयर रूस में डेवलप कराए थे. इन साफ्टवेयर का किराया भी अलग अलग होता है, मसलन एक आईडी में दो वर्चुअल यात्रियों वाले साफ्टवेयर का किराया 600 रुपये प्रतिमाह और 24 वर्चुअल वाले यात्रियों वाले साफ्टवेयर का किराया 10000 रुपये प्रति माह होता है. वर्चुअल यात्रियों की संख्‍या छह गुना बढ़ाई जा सकती है, क्‍योंकि एक आईडी में छह लोगों का टिकट बुक हो सकता है. आरपीएफ ने बताया कि दलालों और साफ्टवेयर डेवलपरों के खिलाफ अभियान लगातार चलाया जा रहा है.

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