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रूस ने बताया, वह किन हालात में आगे बढ़ाएगा Spaceflight सहयोग

हाइलाइट्स

यूक्रेन संकट रूस और अमेरिका के बीच तनाव की वजह है.
रूस ने 2024 तक ISS छोड़ने की बात की है मगर स्पेसफ्लाइट सहयोग करेगा.
रूस ने कहा है कि यह सहयोग आगे भी जारी रह सकता है.

रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के कारण रूस और अमेरिका के बीच तनाव (Russia US Tensions) लंबे समय से कायम है. पश्चिमी देश और अमेरिका रूस पर कई प्रतिबंध लगा चुके हैं. यूरोप भी रूस के साथ अंतरिक्ष सहयोग के संबंध तोड़ चुका है. ऐसे में दुनिया को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की चिंता होने लगी थी जिसके रूस और अमेरिका दोनों ही प्रमुख साझेदार हैं. लेकिन जुलाई में ही दोनों देशों ने समझौता किया कि वे 2024 तक एक दूसरे की अंतरिक्ष उड़ान में एक सीट साझा (Sharing Spaceflight for ISS) करेंगे. अब रूस ने कहा है कि वह इस सहयोग को किन हालात में आगे बढ़ाने के लिए तैयार है.

रूस ने अलग होने का किया था ऐलान
इस मामले में यह गौर करने की बात है कि इससे पहले रूस ने ऐलान किया था कि वह साल 2024 के बाद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन काहिस्सा नहीं रहेगा और तब तक खुद का ही स्पेस स्टेशन तैयार कर लेगा.लेकिन रूस के इस ऐलान के बाद भी रूस ने यह भी कहा कि वह तब तक अपनी जिम्मेदारी निभाता रहेगा.

अंतरिक्ष यात्रियों की सीट की अदला बदली
रूस ने तनाव के दिनों में इटनेशनल स्पेस स्टेशन के गिरने की आशंका का जिक्र जरूर किया था, लेकिन उसने अपनी तरफ से ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया. नासा और रोसकोसमोस ने जुलाई में समझौता किया था कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की रूसी उड़ान में एक अमेरिकी यात्री के लिए और अमेरिकी उड़ान में एक रूसी यात्री के लिए सीट बुक होगी. तब इस समझौते में साल 2022 से 2024 तक कुल छह उड़ानें  भरने की बात हुई थी जिसमें हर देश के अंतरिक्ष यात्री को दूसरे की तीन उड़ानों में सफर करने को मिलेगा.

तीन उड़ानों के बाद देखा जाएगा
रोसमोसकोस के कार्यकारी निदेशक सर्गेई क्रिकालेव ने कहा कि यह समझौता पहली तीन उड़ानों के लिए ही हुआ है और यदि इस समझौता को सकारात्मक तरह से लागू किया गया तो यह जारी भी रहेगा. रूस ने फिर भी इस मामले में खुल कर स्पष्ट कुछ नहीं कहा है और इस मामले में काफी मिले जुले संदेश दिए हैं.

युक्रेन के साथ युद्ध (Russia Ukraine War) ने अमेरिका के साथ रूस केसंबंधों को बहुत ज्यादा तनावपूर्ण बना दिया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

यूक्रेन संकट है तनाव की वजह
यह समझौता मॉस्को और वॉशिंगटन के बीच दोनों देशों के बीच शीत युद्ध के बाद सबसे तनावपूर्ण संबंध होने के बाद भी सहयोग का बहुत ही असामान्य उदाहरण है. रूस यूक्रेन युद्ध को जहां रूस एक विशेष सैन्य ऑपरेशन करार दे रहा है, वहीं पश्चिमी देश के एक युद्ध का हमला बता रहे हैं.

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शीतयुद्ध में भी सहयोग कर चुके हैं दोनों देश
ऐसा नहीं है कि रूस और अमेरिका के बीच केवल शीत युद्ध के खत्म होने के बाद ही आपसी सहयोग बढ़ा था. अंतरिक्ष के क्षेत्र में दोनों देश साल 1975 में भी साथ आए थे जब अपोलो सुयोज अभियान में दोनों देशों के अंतरिक्षयात्रियों ने अंतरिक्ष में हाथ मिलाया था. उस घटना को स्पेस हैंडशेक का नाम दिया गया था.

फिलहाल रूस (Russia) 2024 तक ही अमेरिका के साथ सहयोग करेगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

रूस का ऐसा कदम भी
गौर करने की बात है कि रूस ने इसके अलावा भी कई मामलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी वजह से समस्या ना आए इसके लिए भी कदम उठाए हैं. उसने यूक्रेन के बंदरगाहों पर अटके पड़े लाखों टन अनाज को दुनिया के दूसरे देशों तक जाने के लिए रोकने का प्रयास ना करने का भी ऐलान किया था.

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लेकिन पश्चिमी देश रूस के बर्ताव को कोई बहुत सकारात्मकता से नहीं देख पा रहे हैं. उनका मानना है कि रूस की ओर से पैदा की गई  समस्याएं कायम है और वह यूक्रेन पर हमला जारी रखे है. रूस भी पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों का माकूल जवाब देने की कोशिश में रहता है. लेकिन जहां अमेरिका ने विश्वयुद्ध के खतरे से बचने के लिए इस युद्ध में सीधे शामिल होने से इनकार किया है. रूस ने भी इस युद्ध में परमाणु या रासायनिक हथियारों को इस्तेमाल से परहेज किया है

Tags: Nasa, Research, Russia, Science, Space, USA

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