वाशिंगटनः जो बाइडन प्रशासन ने ताइवान को अनुमानित 1.1 बिलियन डाॅलर के हथियारों की बिक्री करने की योजना बनाई है. इसके लिए अमेरिकी कांग्रेस से औपचारिक मंजूरी मिलने का इंतजार है. सूत्रों के मुताबिक अमेरिका से ताइवान को मिलने वाले हथियारों के पैकेज में 60 एंटी-शिप मिसाइलें और 100 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं. यह खबर तब सामने आई है जब चीन ने ताइवान के जलक्षेत्र में लगातर अपने युद्धपोतों और विमानों को भेजना जारी रखा है.
बीजिंग अपने व्यवहार में तबसे और आक्रामक हो गया है, जब कुछ हफ्तों पहले अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने स्व-शासित द्वीप का दौरा किया था और ताइवान को अलग-थलग करने और डराने-धमकाने के चीन के प्रयासों की निंदा की थी. पेलोसी की यात्रा के जवाब में, चीन ने ताइवान के चारों ओर बड़े पैमाने पर, अभूतपूर्व सैन्य अभ्यास शुरू किया, जिसमें पहली बार द्वीप पर मिसाइलों की शूटिंग शामिल थी.
सूत्रों के मुताबिक अमेरिका द्वारा ताइवान को दिए जाने वाले हथियारों के पैकेज में, जो अभी प्रारंभिक चरण में है, $ 355 मिलियन के 60 AGM-84L हार्पून ब्लॉक II मिसाइलें, $ 85.6 मिलियन के 100 AIM-9X ब्लॉक II साइडवाइंडर सामरिक हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, और $ 655.4 मिलियन में एक निगरानी रडार के अनुबंध का विस्तार शामिल है. साइडवाइंडर मिसाइलें ताइपे के अमेरिका निर्मित F-16 फाइटर जेट्स को लैस करेंगी.
एक बार जब बाइडन प्रशासन अधिसूचना को औपचारिक रूप दे देता है, तो सौदे को अंतिम रूप देने से पहले सीनेट की विदेश संबंध समिति पर डेमोक्रेटिक चेयर और रैंकिंग रिपब्लिकन और हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के हस्ताक्षर की जरूरत होगी. अमेरिकी सांसदों द्वारा इस डील को मंजूरी देने की संभावना है, लेकिन कांग्रेस के चल रहे अवकाश को देखते हुए यह प्रक्रिया थोड़ी लंबी हो सकती है.
हाल के वर्षों में यह आशंका बढ़ गई है कि चीन, ताइवान को सैन्य बल के दम पर अपने साथ मिलाने के लिए तैयारियां कर रहा है. वह मानता है कि यह द्वीपीय देश, उसका ही एक हिस्सा है. जवाब में, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने बीजिंग के अधिनायकवाद के विपरीत, ताइवान के जीवंत लोकतंत्र की प्रशंसा की है और इसे बचाने की जरूरत पर बल दिया है.
अमेरिका ने 1979 के ताइवान संबंध अधिनियम में उल्लेखित तथाकथित वन चाइना नीति का पालन किया है, जो यह निर्धारित करती है कि यूएस, ताइपे के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित नहीं करेगा. टीआरए ने रणनीतिक अस्पष्टता सिद्धांत भी बनाया, जिसके तहत यूएस जानबूझकर अस्पष्ट रहता है कि क्या वह ताइवान पर आक्रमण के खिलाफ सैन्य रूप से उसका बचाव करेगा? रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक, दोनों पक्षों के सांसदों ने उस नीति को खत्म करने पर जोर दिया है. क्योंकि ताइवान को चीन की सेना से खतरों का सामना करना पड़ रहा है.
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FIRST PUBLISHED : August 30, 2022, 07:53 IST